सोमवती अमावस्या (सौजन्य-सोशल मीडिया)
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि (Amavasya) का विशेष महत्व है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इस बार भाद्रपद माह की ‘सोमवती अमावस्या’ (Somvati Amavasya 2024) तिथि 02 सितंबर सोमवार को मनाई जाएगी।
सभी अमावस्याओं में मौनी और सोमवती अमावस्या को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान के साथ पितृ पूजा भी की जाती है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि भाद्रपद माह की सोमवती अमावस्या किस दिन है और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद अमावस्या तिथि का आरंभ 2 सितंबर को सुबह 5 बजकर 21 मिनट से होगा। इस तिथि का समापन 3 सितंबर को सुबह 7 बजकर 24 मिनट पर होगा। भाद्रपद अमावस्या 2 सितंबर, सोमवार को है।
ब्रह्म मुहूर्त – 2 सितंबर को सुबह 4 बजकर 38 मिनट से सुबह 5 बजकर 24 मिनट तक
पूजा मुहूर्त – सुबह 6 बजकर 9 मिनट से सुबह 7 बजकर 44 मिनट तक
शास्त्रों में इस अमावस्या का बहुत ही महत्व है। इस दिन वर्ष भर किए जाने वाले धार्मिक कार्यों, अनुष्ठानों तथा श्राद्ध आदि कार्यों के लिए कुश इकट्ठा किया जाता है। साथ ही इस दिन स्नान-दान का भी विशेष महत्व है। इससे व्यक्ति को कर्ज के साथ-साथ जीवन में चल रही समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
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हमारे शास्त्रों में सभी प्रकार के शुभ या धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों आदि में कुश का उपयोग किया जाता है। किसी को दान देते समय, सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय और अन्य कई कार्यों में भी कुश का उपयोग किया जाता है।
कहा भी गया है कि कुश के बिना की गई पूजा निष्फल हो जाती है- पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:। कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया॥
इसीलिए कुशोत्पाटिनी अमावस्या के दिन कुश ग्रहण करने का या कुश को इकट्ठा करने का विधान है।
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कुशाग्रहणी अमावस्या के दिन प्रत्येक व्यक्ति को जितनी मात्रा में हो सके कुश ग्रहण जरूर करना चाहिए। इस दिन स्नान आदि के बाद उचित स्थान पर जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके दाहिने हाथ से कुश तोड़नी चाहिए और कुश तोड़ते समय इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- ऊँ हूं फट्- फट् स्वाहा। कुश तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कुश कटा-फटा नहीं होना चाहिए, वह पूर्ण रूप से हरा भरा होना चाहिए।
लेखिका – सीमा कुमारी