
घर में शिवलिंग स्थापना के नियम (सौ.सोशल मीडिया)
Shivling Puja rules: सनातन धर्म में देवों के देव महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कई भक्त अपने घरों में शिवलिंग स्थापित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि घर में शिवलिंग रखने से सुख-समृद्धि आती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। शास्त्रों और वास्तु-शास्त्र के अनुसार, शिवलिंग की पूजा से जुड़े कई नियम बताए गए हैं।
मान्यता है कि शिवलिंग में केवल भगवान शिव का वास नहीं होता, बल्कि उनके साथ-साथ मां पार्वती, गणेश जी, अशोक सुंदरी और कार्तिकेय जी का भी स्थान होता है। शिवलिंग के अलग-अलग स्थानों पर पूजा करने व वस्तुएं अर्पित करने पर जातक को कई लाभ प्राप्त होते हैं।
हालांकि कई लोग अपने घर में भी शिवलिंग की स्थापना करते हैं और प्रतिदिन शिव की पूजा करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि शिवलिंग को घर में स्थापित करने के कई नियम बताये गये हैं। जिसे हर जातक को ध्यान रखना चाहिए।
वास्तु एवं ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, घर के लिए छोटा से शिवलिंग की स्थापना शुभ रहता है। शिव पुराण में बताया गया है कि घर में हाथ के अंगूठे के पहले भाग से बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए।
कहते हैं, शिवलिंग के साथ ही गणेश जी, देवी पार्वती, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की छोटी सी प्रतिमा भी रखनी चाहिए।
शिवलिंग सोना, चांदी, पीतल का या मिट्टी-पत्थर का शुभ रहता है। एल्युमीनियम, स्टील या लोहे के शिवलिंग की पूजा करने से बचना चाहिए। पूजा-पाठ के लिए ये धातु शुभ नहीं मानी जाती हैं।
स्फटिक और पारद के शिवलिंग भी घर में स्थापित कर सकते हैं। शिव परिवार की पूजा एक साथ करने से पूजा का फल जल्दी मिल सकता है।
शिवलिंग को स्थापित करने की दिशा और स्थान बहुत मायने रखता है।
शिवलिंग को हमेशा घर के उत्तर-पूर्वी कोने (ईशान कोण) में ही स्थापित करना चाहिए। यह दिशा पूजा-पाठ के लिए सबसे शुभ मानी जाती है।
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शिवलिंग की जलधारी या जलाधारी का मुख हमेशा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। ध्यान रहे, जलधारी को कभी लांघना नहीं चाहिए।
शिवलिंग को केवल पूजा स्थान पर ही रखना चाहिए। इसे बेडरूम, रसोई या घर के किसी अन्य अपवित्र स्थान पर भूलकर भी न रखें।






