Married Girl and Widow girl (सौ. Freepik)
Kinnar ki ek din ki Shadi ka Mahabharat se Rishta: भारतीय समाज की परंपराएं जितनी विविध हैं, उतनी ही रहस्यमयी भी। किन्नर समाज में प्रचलित कुछ रिवाज ऐसे हैं, जो आम लोगों के लिए चौंकाने वाले हो सकते हैं। इन्हीं में से एक है एक रात के लिए विवाह करना और अगले दिन विधवा की तरह विलाप करना। यह परंपरा केवल सामाजिक नहीं, बल्कि गहराई से महाभारत काल की एक पौराणिक कथा से जुड़ी हुई मानी जाती है। इस रिवाज के पीछे आस्था, बलिदान और करुणा की एक भावुक कहानी छिपी है।
मान्यता के अनुसार, महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने विजय की कामना से मां काली की पूजा की थी। इस पूजा को पूर्ण करने के लिए एक राजकुमार की बलि आवश्यक बताई गई। तब अर्जुन के पुत्र इरावन ने स्वयं बलिदान देने की इच्छा जताई। हालांकि, उन्होंने एक शर्त रखी कि बलि से पहले उनका विवाह कराया जाए। यहीं पांडवों के सामने बड़ी दुविधा खड़ी हो गई। सवाल यह था कि कौन-सी राजकुमारी एक दिन के लिए विवाह करेगी और अगले ही दिन विधवा बन जाएगी।
इस कठिन परिस्थिति का समाधान श्रीकृष्ण ने निकाला। इरावन की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप धारण किया और इरावन से विवाह किया। विवाह के अगले दिन इरावन की बलि दे दी गई। इसके बाद श्रीकृष्ण ने स्वयं विधवा बनकर विलाप किया। यही घटना आगे चलकर किन्नर समाज की आस्था और परंपरा का आधार बनी।
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इस पौराणिक प्रसंग के बाद किन्नर समाज ने इरावन को अपना कुल देवता मान लिया। मान्यता है कि किन्नर एक रात के लिए इरावन से विवाह कर उसी परंपरा का निर्वहन करते हैं और अगले दिन विधवा की तरह विलाप करते हैं। यह रस्म बलिदान और श्रद्धा का प्रतीक मानी जाती है।
किन्नरों के इस अनूठे विवाह को देखने के लिए हर साल तमिलनाडु के कूवगाम में भव्य आयोजन होता है। तमिल नववर्ष की पहली पूर्णिमा से यह उत्सव शुरू होता है और 18 दिनों तक चलता है। 17वें दिन किन्नर दुल्हन की तरह सजते-संवरते हैं और विवाह संपन्न होता है। किन्नर समाज के पुरोहित उन्हें मंगलसूत्र पहनाते हैं। अगले दिन इरावन देव की मूर्ति को नगर भ्रमण के बाद तोड़ दिया जाता है। इसके साथ ही किन्नर अपने श्रृंगार को त्यागकर विधवा की तरह विलाप करते हैं।