भारत की इन जगहों पर रावण की पूजा होती है (सौ.सोशल मीडिया)
Dussehra 2025: भारत विविधताओं वाला देश है। यहां हर धर्म-समुदाय के लोग एक साथ रहकर अपने-अपने पर्व त्योहार को मनाते है। जब बात त्योहारों की हो रही है तो, यहां एक ही त्योहार अलग-अलग जगहों पर अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। जैसे दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहते हैं, अधिकांश भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में रावण दहन के साथ दशहरा, जिसे विजयदशमी मनाया जाता है, वहीं कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां रावण को पूजनीय माना जाता है।
इन स्थानों पर रावण का दहन नहीं होता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है और विजयदशमी को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं भारत की उन प्रमुख जगहों के बारे में जहां दशहरा पर रावण की पूजा होती है।
गौतमबुद्ध नगर का बिसरख गांव रावण की जन्मभूमि माना जाता है। यहां दशहरा पर रावण की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा की जाती है और दहन नहीं किया जाता।
मध्यप्रदेश के मंदसौर में दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता। इसका कारण यह है कि मंदसौर जिसका पुराना नाम दशपुर था, उसे रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका माना जाता है। इस प्रकार मंदसौर में रावण को दामाद के रूप में जाना जाता है। ऐसे में यहां के लोग रावण को ‘दामाद’ मानकर उसका दहन नहीं करते, बल्कि पूजा करते हैं।
हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में रावण को विद्वान और महाशिवभक्त मानकर उसकी पूजा की जाती है। विजयदशमी को यहां अलग ही रूप में देखा जाता है।
महाकाल की नगरी उज्जैन में रावण को शिवभक्त मानकर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कई लोग यहां दशहरा के दिन रावण का व्रत और हवन करते हैं।
महाराष्ट्र के अमरावती जिले के गढ़चिरौली में आदिवासी समुदाय के लोग रावण की पूजा करते हैं। यहां रावण को कुल देवता के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि इस स्थान पर दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता। वहीं हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बैजनाथ में भी रावण की पूजा-अर्चना की जाती है।
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जिसके पीछे लोगों की मान्यता है कि रावण ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। इसी के साथ महाकाल की नगरी उज्जैन में भी रावण को शिवभक्त के रूप में देखा जाता है और उसकी पूजा की जाती है। यहां कई लोग दशहरा के दिन व्रत और हवन भी करते हैं।