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नवरात्रि में इस दिन होगी ‘नवपत्रिका पूजा’, जानिए क्या होती है और कहां होती है यह पूजा

Navpatrika Puja 2025: नवरात्र में नवपत्रिका पूजा का विशेष महत्व है। 'नवपत्रिका' का अर्थ नौ पत्तियां होता है। इसे करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Sep 27, 2025 | 11:11 PM

कब है नवपत्रिका पूजा (सौ.सोशल मीडिया)

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Navpatrika Puja 2025: शारदीय नवरात्रि का महापर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की साधना और उपासना के लिए जाना जाता है। इस दौरान हर दिन माता के एक अलग रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान कई परंपरा भी निभाई जाती है। इन्हीं में से एक अनोखा और प्राचीन विधान है ‘नवपत्रिका पूजन। आपको बता दें, यह पूजा यानी नवपत्रिका पूजन मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, झारखंड,असम और बिहार-ओडिशा जैसे राज्यों में ज़्यादा प्रचलित है।

लेकिन मौजूदा समय में, यह पूजन देश के अन्य हिस्सों में भी मनाए जाने लगा है। इसे नवपात्र पूजन या कुलकायिनी माता की आराधना भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल में इसे खास तौर पर कलाबौ पूजा कहा जाता है। ऐसे में आइए जानिए इस साल यह पूजा कब और कैसे की जाएगी।

कब है नवपत्रिका पूजा

आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि 28 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 29 सितंबर को दोपहर 4 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में नवपत्रिका पूजा सोमवार, 29 सितंबर को की जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है-

नवपत्रिका के दिन अरुणोदय- प्रातः 5 बजकर 49 मिनट पर

नवपत्रिका के दिन अवलोकनीय सूर्योदय- सुबह 6 बजकर 13 मिनट पर

कौन-कौन से नौ पौधों के पत्ते होते हैं शामिल

नवपत्रिका में कुल नौ पौधों के पत्ते शामिल होते हैं, जिन्हें जीवन और प्रकृति का आधार माना गया है:
केला
हल्दी
बिल्व पत्र (बेल)
कदंब
जयंती
अशोक
अरंडी
धान की बालियां
अनार

ये सभी मिलकर समृद्धि, स्वास्थ्य, शक्ति और कृषि सम्पन्नता का प्रतीक है। यही वजह है कि इस पूजन को प्रकृति और शक्ति की संयुक्त साधना माना जाता है।

कैसे होता है नवपत्रिका पूजन

  • सुबह स्नान कर शुद्ध भाव से नौ पत्तों को लाया जाता है।
  • केले के पौधे के साथ इन सभी पत्तियों को पीले कपड़े में बांधा जाता है।
  • इसे देवी दुर्गा का रूप मानकर पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है।
  • धूप, दीप, मंत्रोच्चार और नैवेद्य अर्पित कर पूजा की जाती है।
  • भक्त इसे प्रणाम कर मां से समृद्धि और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

क्या है नवपत्रिका पूजन का धार्मिक महत्व

नवपत्रिका पूजन का सबसे बड़ा संदेश यह है कि देवी की शक्ति केवल मंदिरों तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रकृति के हर अंश में विद्यमान है। नौ पौधों के माध्यम से यह पूजन हमें याद दिलाता है कि धरती, जल, अन्न और वृक्ष सभी देवी का ही रूप है। इन्हीं से जीवन चलता है और इन्हीं में देवी की दिव्यता का वास माना जाता है।

ये भी पढ़ें-धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना क्यों है शुभ, सदियों से चली आ रही इस प्रथा का असली रहस्य जानें

खासतौर पर, पश्चिम बंगाल में नवपत्रिका पूजन का सबसे ज़्यादा महत्व है। इसे बंगाल में कलाबौ पूजा कहा जाता है और किसानों के लिए इसका महत्व सबसे अधिक है।

मान्यता है कि इसकी पूजन से अच्छी उपज प्राप्त होती है और साल भर खेत-खलिहानों में समृद्धि बनी रहती है। नवरात्रि के इस विशेष विधान से जहां आध्यात्मिक शांति मिलती है, वहीं जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति का भी विश्वास किया जाता है इसीलिए पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा के दौरान नवपत्रिका पूजन का महत्व सर्वोपरि माना गया है।

 

Navpatrika puja will be held on this day during navratri

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Published On: Sep 27, 2025 | 11:11 PM

Topics:  

  • Goddess Durga
  • Religion
  • Shardiya Navratri

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