मोक्षदायिनी पौष पूर्णिमा (सौ.सोशल मीडिया)
Paush Purnima significance: सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। खासतौर पर, पौष महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा का है। साल 2026 में पौष पूर्णिमा 03 जनवरी, शनिवार को मनाई जाएगी। पौष पूर्णिमा को मोक्षदायिनी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि, इस दिन विधिपूर्वक स्नान, दान और व्रत करने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा का दुर्लभ संयोग बनता है, क्योंकि पौष मास सूर्य देव को समर्पित माना गया है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि होती है।
पौष पूर्णिमा से ही माघ स्नान की भी शुरुआत होती है, जिसका विशेष महत्व प्रयागराज, हरिद्वार, काशी जैसे पवित्र तीर्थों में माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, वहीं कुछ कार्यों से परहेज करना भी बेहद जरूरी माना गया है।
पौष पूर्णिमा के दिन किन कामों से बचना चाहिए?
इस दिन मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन वर्जित माना गया है। ऐसा करने से पुण्य फल में कमी आ सकती है।
पौष पूर्णिमा पर झूठ बोलना, किसी का अपमान करना या क्रोध करना अशुभ माना जाता है। इससे मानसिक अशांति बढ़ सकती है।
शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान को श्रेष्ठ माना गया है। देर से स्नान करने से धार्मिक लाभ कम हो सकता है।
इस दिन सामर्थ्य अनुसार दान करना शुभ माना जाता है। दान न करना या किसी जरूरतमंद को खाली हाथ लौटाना अशुभ फल दे सकता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन बाल या नाखून काटना वर्जित होता है।
इस दिन परिवार में विवाद या नकारात्मक वातावरण बनाने से देवी-देवताओं की कृपा में बाधा आ सकती है।
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मान्यता है कि इस दिन नियमों का पालन करने से मोक्ष की प्राप्ति, पितरों की कृपा और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही सूर्य और चंद्रमा दोनों की विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है।
नोट: पौष पूर्णिमा पर संयम, श्रद्धा और सकारात्मकता के साथ किए गए कर्म व्यक्ति के जीवन में शुभ परिवर्तन लाते हैं।