
Ladakh plastic bottle temple में क्या है खास। (सौ. Facebook)
Ladakh Plastic Bottle Temple: दुनिया रहस्यों से भरी है और लद्दाख की वीरान पहाड़ियों के बीच एक ऐसा राज छिपा है, जिसे देखकर लोग हैरान रह जाते हैं। आमतौर पर मंदिरों में फूल, माला या प्रसाद चढ़ाने की परंपरा होती है, लेकिन एक ट्रैवलर को लद्दाख यात्रा के दौरान ऐसा मंदिर मिला, जहां लोग पानी की बोतलें चढ़ाते हैं। पहली नजर में ये नज़ारा किसी को कचरे का ढेर लग सकता है, मगर पीछे छिपी कहानी बेहद भावुक कर देने वाली है।
इंस्टाग्राम यूजर और ट्रैवल कंटेंट क्रिएटर आकर्ष शर्मा (@rover_shutterbug) ने इस मंदिर का वीडियो शेयर किया। उन्हें 44.6K लोग फॉलो करते हैं। आकर्ष जयपुर से लद्दाख तक साइकिल से यात्रा कर रहे थे और अगस्त 2023 में लगभग एक महीने की यह यात्रा पूरी की। रास्ते में चलते हुए उन्हें पहाड़ों के बीच बने इस छोटे से मंदिर ने चौंका दिया, जिसके बाहर सैकड़ों प्लास्टिक पानी की बोतलें रखी हुई थीं। पहली नज़र में किसी को लगता है कि शायद यात्रियों ने यहां बोतलें फेंक दी हों या यह कोई कचरा जमा करने की जगह हो। लेकिन सच्चाई बिल्कुल इसके उलट है यहां लोग अपनी इच्छा से पानी की बोतल चढ़ाते हैं।
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इस अनोखी परंपरा के पीछे एक दर्दनाक घटना जुड़ी है। बताया जाता है कि साल 1999 के आसपास एक ट्रक ड्राइवर की प्यास के कारण इसी स्थान पर मौत हो गई थी। उस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने उसकी याद और श्रद्धांजलि में यहां एक छोटा मंदिर बना दिया। तभी से जो भी यात्री या ट्रक ड्राइवर इस रास्ते से गुजरता है, वह पानी की एक बोतल चढ़ाकर उस ड्राइवर को श्रद्धांजलि अर्पित करता है, ताकि किसी और को प्यास से ऐसी नियति न भुगतनी पड़े। आकर्ष ने हालांकि बोतल नहीं चढ़ाई, पर उन्होंने एक पत्थर पर थोड़ा पानी डालकर सम्मान प्रकट किया। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ लोगों ने मंदिर पर तंबाकू, जर्दा जैसी चीजें भी चढ़ाई हैं।
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यह छोटा मंदिर सिर्फ श्रद्धा का स्थान नहीं, बल्कि मानवता और करुणा की मिसाल भी है। पानी की बोतलें यहां आस्था से ज्यादा एक संदेश देती हैं “अगर हमारे पास पानी है, तो किसी और की प्यास न बचे।”






