गणेश चतुर्थी पूजा के नियम (सौ. सोशल मीडिया)
Ganesh Chaturthi 2025: सावन माह की समाप्ति के साथ अब भादो मास की शुरुआत हो गई है। यह महीना भगवान श्रीगणेशजी की पूजा के लिए सबसे खास महीने में से एक होता है। हर साल की तरह इस बार 10 दिनों के गणेशोत्सव का माहौल सजने वाला है। घर और पंडाल में गणपति की मूर्ति की स्थापना की जाती है। गणेशजी की स्थापना के नियम होते है जिनका पालन करना जरूरी होता है। कहा जाता है कि, गणपति जी की मूर्ति के पीछे दर्पण रखा जाता है। चलिए जान लेते है गणपति जी की मूर्ति स्थापना के नियम।
यहां पर वास्तु शास्त्र के अनुसार गणपति की मूर्ति स्थापना के नियम बताए गए है। कहते है कि, आपको घर के मुख्य द्वार पर अंदर की तरफ से श्री गणेश की मूर्ति या फोटो लगानी चाहिए। इसके अलावा बाईं सूंड वाले गणपति को घर में रखना शुभ होता है, यह सुख-शांति और समृद्धि लाते हैं। टूटी हुई या खंडित मूर्ति नहीं रखनी चाहिए, इससे नकारात्मक प्रभाव बढ़ सकता है। इसके अलावा मुख्य दरवाजे के दोनों ओर दो गणपति जी की मूर्तियाँ या तस्वीरें नहीं लगानी चाहिए, इससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है। मुख्य द्वार के ऊपर या अंदर की ओर गणपति जी का चित्र लगाना शुभ माना जाता है।
गणपति जी की तस्वीर घर के अंदर की ओर देखनी चाहिए, ताकि घर में शुभ ऊर्जा का प्रवाह बना रहे। गणपति जी की पीठ घर के अंदर की ओर नहीं होनी चाहिए, इससे दरिद्रता और आर्थिक समस्याएँ हो सकती हैं। अधिकतर लोग जिस तरह से दरवाजे पर गणेश जी लगाते हैं, उसमें गणेश जी की पीठ घर की ओर होती है और उनका मुख बाहर की ओर होता है, जो कि सही नहीं है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, गणपति जी की प्रतिमा के पीछे वास्तु के अनुसार दर्पण रखा जाता है। इसके पीछे की वजह बताई जाती है कि, दर्पण लगाने से उनका पीठ का ना दिखाई देना क्योंकि यह घर में दरिद्रता लाता है। यदि घर में वास्तु दोष है, तो गणपति जी के पीछे दर्पण रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है। इस वजह से विशेष तौर पर गणेश जी की स्थापना करने के साथ मुख्य द्वार या पूजास्थल के सामने गणपति की मूर्ति के पीछे दर्पण रखना वास्तु दोष से बचाता है। इस वजह से गणपति जी की प्रतिमा के पीछे दर्पण लगाना चाहिए।