सावन सोमवार (सौ.सोशल मीडिया)
देवों के देव महादेव का पावन पर्व सावन माह शुरू हो चुका है। इस महीने में भगवान शिव की श्रद्धा भाव से पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि, भगवान शिव की पूजा करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही, सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट से मुक्ति मिलती है।
इस माह में पूजा के दौरान शिवलिंग का अभिषेक विधि पूर्वक करना चाहिए। ऐसा करने से महादेव जल्द प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि संध्याकाल में शिवलिंग पर जल अर्पित नहीं करना चाहिए। ऐसे में आइए जान लें। इसके पीछे की वजह के बारे में।
1- पौराणिक मान्यताओँ के अनुसार, शिव पुराण में शिवलिंग पूजा के नियम का उल्लेख देखने को मिलता है। शिव पुराण के अनुसार, संध्याकाल में पूजा के दौरान शिवलिंग पर जल चढ़ाना अशुभ माना जाता है। शिवलिंग पर जल अर्पित करने का सबसे शुभ समय सुबह 5 बजे से 11 बजे तक माना जाता है। शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय पूर्व दिशा की तरफ खड़ा नहीं होना चाहिए। शिवलिंग का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
2- सनातन धर्म के अनुसार, शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय दक्षिण दिशा की तरफ खड़े होना शुभ माना जाता है, क्योंकि जातक का मुख उत्तर दिशा की ओर होगा। यह दिशा देवी-देवता की शुभ दिशा मानी जाती है। शिवलिंग पर जल अर्पित करने के लिए तांबे, चांदी और कांसे के पात्र का प्रयोग करना शुभ माना जाता जाता है।
3- सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित हैं। इस साल सावन का विशेष महत्व है, क्योंकि इस साल सावन मास की शुरुआत सोमवार के दिन से हो रहा है और सावन में कुल पांच सोमवार पड़ रहे हैं।
4- ज्योतिषियों के अनुसार, भगवान शिव की पूजा के लिए और खास तौर से वैवाहिक जीवन के लिए सोमवार की पूजा की जाती हैं। अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अड़चने आ रही हों तो सावन के सोमवार पर पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार को शिव जी की पूजा करने के दौरान जल तथा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए।
5- शिव पुराण में भगवान शिव को विवाह का देवता माना गया है। इसलिए, सावन में भगवान शिव की पूजा करने पर विवाह में आने वाली बाधा समाप्त हो जाती है। भगवान शिव की पूजा करने के लिए प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी, और पंचामृत अर्पित करना चाहिए।
लेखिका- सीमा कुमारी