जितिया व्रत में महिलाएं क्यों पहनती हैं जिउतिया धागा (सौ.सोशल मीडिया)
Jitiya Thread Significance: तीन दिवसीय जीवित्पुत्रिका यानी जितिया व्रत हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व रखता है। यह व्रत बच्चों की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए हर साल आश्विन मास की अष्टमी तिथि को उतर भारत सहित बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। जैसा कि आप भलीभांति अवगत होंगे कि इस व्रत में महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए निर्जला व्रत करती हैं।
प्राप्त जानकरी के अनुसार, जितिया व्रत का उत्सव बिहार में 3 दिनों तक मनाया जाता है, जिसे सबसे कठिन उपवास में से एक माना जाता है। जितिया व्रत से जुड़ी कई परंपराएं और मान्यताएं हैं, जिनमें से एक है इसमें लाल या पीले रंग का धागा में जिउतिया लॉकेट पहनना। ऐसे में आइए जानते है जितिया व्रत में महिलाएं क्यों पहनती हैं जिउतिया धागा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जितिया व्रत में पहने जाने वाले धागे को जिउतिया माला या जिउतिया लॉकेट कहते हैं। इस व्रत में इस लॉकेट का बड़ा महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि इस माला को पहने बिना यह उपवास पूरा नहीं होता है।
यह लाल या पीले रंग का धागा होता है, जिसमें सोने या चांदी के लॉकेट या गांठें बांधी जाती हैं। लॉकेट की संख्या संतान की संख्या के मुताबिक होती है और शुभता के लिए एक अतिरिक्त लॉकेट या गांठ जोड़ी जाती है। बता दें, कुछ लॉकेट पर भगवान जीमूतवाहन की आकृति भी बनी होती है।
कहा जाता है कि, जितिया व्रत में यह माला या धागा इसलिए पहना जाता है, क्योंकि यह संतान की दीर्घायु, सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की कामना का प्रतीक होता है। यह मां की आस्था और मातृत्व के समर्पण को भी दर्शाता है। इस लॉकेट के बिना जिउतिया के व्रत अधूरा माना जाता है, क्योंकि इसके बिना उपवास का मनचाहा प्रभाव नहीं होता और व्रत अधूरा रह जाता है।
इस लॉकेट से जुड़ी कई मान्यताएं है। कहा जाता है कि यह धागा और लॉकेट संतान की लंबी आयु और उनके जीवन में आने वाले संकटों को टालने का प्रतीक माना जाता है।
यह सिर्फ एक आभूषण नहीं, बल्कि मां की आस्था और संतान के लिए किए गए संकल्प का प्रतीक भी माना जाता है।
मान्यता है कि बिना जिउतिया धागा और लॉकेट के जितिया व्रत अधूरा माना जाता है। साथ ही, इसके बिना व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है।
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इस धागे को “संरक्षण सूत्र” भी माना गया है और इसके पहनने से व्रत की सफलता सुनिश्चित होती है।