
बसंत पंचमी पर जनेऊ पहनने के नियम (सौ.सोशल मीडिया)
Basant Panchami tradition: बसंत पंचमी का त्यौहार आने वाले दिन 2 फरवरी को मनाया जाने वाला है वहीं पर इस मौके पर देश के कई हिस्सों में परंपराएं प्रचलित होती है जिसके बारे में जानना जरूरी है। इन परंपराओं में एक मणियां गांव में अनोखी परंपरा निभाई जाती है जिसमें गांव की लड़कियां अपनी इच्छा से जनेऊ धारण करती है। इस परंपरा में जनेऊ धारण करने के नियम क्या होते है और मंत्र, चलिए जानते है…
आपको बताते चलें कि, बक्सर से लगे मणियां गांव के दयानंद आर्य हाई स्कूल में हर साल बसंत पंचमी के मौके पर यह अनोखी परंपरा निभाई जा रही है। परंपरा के अनुसार बसंत पंचमी के दिन इस स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं अपनी इच्छा से जनेऊ धारण करती हैं। जनेऊ पहनने के साथ ही छात्राएं रुढ़िवादी परंपरा को खत्म करने का संकल्प भी लेती हैं।
बताया जाता है कि, साढ़े चार दशक से प्रचलित इस परंपरा को लोग बड़ी आस्था के साथ मानते हैं और छात्राओं को इस मुहिम को उनके परिवार और समाज का भरपूर साथ मिलता है। यहां पर जनेऊ धारण करने के नियम होते है और इसे पहनने के दौरान मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
आपको बताते चलें कि, इस परंपरा के अनुसार जनेऊ धारण करने के लिए नियमों को याद रखना चाहिए। इसके नियमों के अनुसार, इसे हमेशा बाएं कंधे से दायें कमर पर पहनना चाहिए और इसे मल-मूत्र विसर्जन के समय दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथ साफ करने के बाद ही दोबारा छूना चाहिए। जनेऊ को लेकर कहा जाता है कि, घर में किसी के जन्म या मरण के दौरान सूतक लगने के बाद जनेऊ को बदल दिया जाता है। यहां पर जनेऊ को आसानी से पहना या उतारा नहीं जाता है इस दौरान मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
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जनेऊ पहनने का मंत्र
ॐ यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतेयर्त्सहजं पुरस्तात्। आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।।
जनेऊ उतारने का मंत्र
एतावद्दिन पर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया। जीर्णत्वात्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथा सुखम्।।






