
Lord Ram with 2 Sister (Source. AI)
वाल्मीकि रामायण में श्रीराम के भाइयों का तो विस्तार से वर्णन मिलता है, लेकिन उनकी बहनों का उल्लेख वहां नहीं है। यही कारण है कि सामान्य जनमानस इस तथ्य से लगभग अनजान रहा। हालांकि, कुछ प्राचीन ग्रंथों, पुराणों और लोककथाओं में श्रीराम की बहनों का जिक्र मिलता है, जो उनके परिवार की व्यापकता को दर्शाता है।
शांता को भगवान श्रीराम की बड़ी बहन माना जाता है। मान्यता है कि उन्हें अयोध्या के राजा दशरथ और माता कौशल्या ने अंगदेश के राजा रोमपद को गोद दे दिया था। शांता का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलता, लेकिन अन्य प्राचीन ग्रंथों में उनका जिक्र मौजूद है। कहा जाता है कि शांता अत्यंत गुणवान, संयमी और धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। उनके जीवन से यह संदेश मिलता है कि राजपरिवारों में भी त्याग और कर्तव्य को सर्वोपरि माना जाता था।
कुकुधा का नाम कुछ पुराणों और किंवदंतियों में मिलता है, लेकिन उनके जीवन से जुड़ी जानकारी बेहद सीमित है। वाल्मीकि रामायण में उनका उल्लेख न होने के कारण कुकुधा एक रहस्यमयी पात्र के रूप में जानी जाती हैं। विद्वानों का मानना है कि उनका जीवन और भूमिका अलग परंपराओं में संरक्षित रही, जो मुख्य रामायण कथा का हिस्सा नहीं बनी।
श्रीराम का परिवार केवल भाइयों से नहीं, बल्कि बहनों की उपस्थिति से भी संपूर्ण था। यह तथ्य दर्शाता है कि रामायण का पारिवारिक ढांचा सिर्फ पुरुष पात्रों पर आधारित नहीं था। बहनों की भूमिका भले ही मुख्य कथा में सामने न आई हो, लेकिन उनका अस्तित्व परिवार के संतुलन और सामाजिक संरचना को मजबूत करता है।
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वाल्मीकि रामायण में बहनों का जिक्र न होने का स्पष्ट कारण नहीं मिलता। कुछ विद्वानों का मानना है कि रामायण का फोकस मुख्य रूप से श्रीराम के जीवन, आदर्श और धर्म पर केंद्रित था, जबकि अन्य पारिवारिक विवरण पुराणों और लोकपरंपराओं में सुरक्षित रखे गए।
भाइयों और बहनों के साथ श्रीराम का परिवार एक आदर्श पारिवारिक संरचना प्रस्तुत करता है। यह तथ्य रामायण को और अधिक मानवीय और व्यापक बनाता है, जहां रिश्तों का महत्व केवल युद्ध और धर्म से नहीं, बल्कि परिवार की समग्रता से भी जुड़ा हुआ है।






