
धनु संक्रांति का धार्मिक महत्व (सौ.सोशल मीडिया)
Dhanu Sankranti Date And Time 2025:आज 16 दिसंबर को धनु संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा हैं। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखता है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं और इस दिन स्नान-दान के लिए पुण्यकाल और महापुण्य काल का विशेष महत्व होता है।
आपको बता दें, इस वर्ष, पंचांग के मुताबिक, 16 दिसंबर की सुबह 4 बजकर 19 मिनट पर सूर्यदेव वृश्चिक राशि (Vrischika Rashi) से निकलकर धनु राशि (Dhanu Rashi) में प्रवेश कर जाएंगे और अगले वर्ष यानि की 14 जनवरी 2026 की दोपहर बाद 3 बजकर 6 मिनट तक धनु राशि में ही गोचर करते रहेंगे, उसके बाद मकर राशि (Makar Rashi) में प्रवेश कर जायेंगे।
जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो उस दिन मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2026) मनाई जाएगी जो कि 14 जनवरी 2026 को होगी। बता दें जब सूर्यदेव किसी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन सूर्यदेव की संक्रांति (Sankranti) होती है। सूर्य की संक्रांति में पुण्यकाल का बहुत महत्व होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन संक्रांति मनाई जाती है। धनु संक्रांति के दिन सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है।
धनु संक्रांति के दिन पुण्य काल को बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस अवधि में स्नान, दान और जप करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि संक्रांति के साथ शुरू होने वाला पुण्य काल सूर्य के प्रवेश के बाद कुछ समय तक प्रभावी रहता है।
इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना, सूर्य देव को अर्घ्य देना और जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है। तिल, गुड़, अन्न और वस्त्र का दान विशेष पुण्य प्रदान करता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन किए गए शुभ कर्म जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।
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ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा और ऊर्जा का कारक माना गया है। धनु राशि में सूर्य के प्रवेश से ज्ञान, धर्म और सकारात्मक सोच को बल मिलता है। कई लोगों के लिए यह समय नए संकल्प लेने और आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने का संकेत देता है।






