
अक्षय नवमी की सही तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त,
Akshay Navami 2024 : हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का विशेष महत्व है। अक्षय नवमी हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष यह नवमी 10 नवंबर को मनाई जाएगी। अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है।
इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन होता है और कई जगहों पर आंवले के पेड़ के नीचे ही प्रसाद बनाया और खाया भी जाता है। कहते हैं कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ का पूजन करने से भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों का ही आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही इससे धन-दौलत और सुख-समृद्धि में भी वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल कब है अक्षय नवमी और पूजा का शुभ मुहूर्त-
अक्षय नवमी 2024 तिथि
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 9 नवंबर को रात 10 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 10 नवंबर को रात 9 बजकर 1 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार इस साल अक्षय नवमी यानि आंवला नवमी 10 नवंबर को मनाई जाएगी।
अक्षय नवमी 2024 शुभ मुहूर्त
अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ का पूजन किया जाता है और यह पूजन यदि शुभ मुहूर्त में किया जाए तो शुभ फल प्रदान करता है। बता दें कि 10 नवंबर को अक्षय नवमी के दिन दुर्लभ ध्रुव योग बन रहा है तो कि 11 नवंबर को देर रात 1 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में व्रत करने वाले जातक 10 नवंबर को सूर्योदय के बाद कभी भी पूजा कर सकते हैं।
ऐसे करें अक्षय नवमी की पूजा
अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन आंवले की पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में ‘आवला नवमी’ यानी ‘अक्षय नवमी’ को सुबह स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करें।
शुभ मुहूर्त में चंदन, हल्दी-कुमकुम से आंवले वृक्ष की पूजा करें। इसके बाद, आंवले के पेड़ में गाय का दूध अर्पित करें। इसके बाद, आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें।
साथ ही, पेड़ के तने में 8 बार कच्चा सूत या मौली लपेटें। पूजन के बाद अक्षय नवमी की कथा पढ़ें या सुनें। इसके बाद आंवला पेड़ के नीचे ब्राह्मण भोजन कराएं। ब्राह्मण भोजन के बाद उन्हें कुछ दक्षिणा देकर आदरपूर्वक विदा करें।
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अक्षय नवमी की महिमा
मान्यता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु का आंवले के पेड़ वास होता है। यही कारण है कि, अक्षय नवमी के दिन विधि-विधान से आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है।
साथ ही पेड़ की छाया में बैठकर खाना खाया जाता है। कहते हैं, ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं। कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं।
मान्यता है कि, अगर कोई महिला संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती है, तो उसकी इच्छा भगवान जरूर पूरी करते हैं। इसके अलावा अक्षय नवमी की तिथि के दो दिन बाद ही सृष्टि के पालनहार श्रीहरि योगनिद्रा से जागते हैं। जिसके चलते इसका महत्व बढ़ जाता है।
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