बुध प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा (सौ.सोशल मीडिया)
Budh Pradosh Vrat Kahani: आज 17 दिसंबर को साल का आखिरी प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। जब ये व्रत बुधवार के दिन पड़ता है तो इसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है।
आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, इस वर्ष, साल का आखिरी प्रदोष व्रत यानी बुध प्रदोष व्रत 17 दिसंबर को पूजा का समय शाम 05:27 से रात 08:11 बजे तक रहेगा। मान्यताओं अनुसार इस दिन विधि विधान पूजा करने और व्रत कथा पढ़ने से भगवान की असीम कृपा प्राप्त होती है।
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पुण्यदायी व्रत माना जाता है। जब यह व्रत बुधवार के दिन पड़ता है, तब इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, व्यापार और निर्णय क्षमता का कारक है। इस दिन प्रदोष व्रत करने और कथा पढ़ने से बुध ग्रह मजबूत होता है और जीवन में आर्थिक स्थिरता आती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक नगर में एक अत्यंत विद्वान लेकिन आर्थिक रूप से परेशान व्यक्ति रहता था। बुध ग्रह की अशुभ स्थिति के कारण उसके सभी प्रयास विफल हो जाते थे। एक शिव भक्त ने उसे बुध प्रदोष व्रत रखने और कथा पढ़ने की सलाह दी।
उस व्यक्ति ने श्रद्धा के साथ प्रदोष काल में भगवान शिव का पूजन किया और कथा का नियमित पाठ शुरू किया। कुछ ही समय में उसकी बुद्धि प्रखर होने लगी, व्यापार में लाभ हुआ और समाज में मान-सम्मान बढ़ा। यह भगवान शिव और बुध ग्रह की संयुक्त कृपा का परिणाम माना गया।
बुध प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करने से व्यक्ति की निर्णय क्षमता मजबूत होती है और मानसिक भ्रम दूर होते हैं। नौकरी और व्यापार में आने वाली बाधाएं कम होती हैं तथा धन आगमन के नए मार्ग खुलते हैं। विद्यार्थियों को एकाग्रता और स्मरण शक्ति का लाभ मिलता है, वहीं करियर में सफलता के योग भी प्रबल होते हैं।
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आज के प्रतिस्पर्धात्मक समय में जब मानसिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता बढ़ रही है, बुध प्रदोष व्रत की कथा एक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। नियमित कथा पाठ से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति सही निर्णय लेने में सक्षम बनता है, जो जीवन में स्थायी सफलता की नींव रखता है।