खाटू श्याम का जन्मोत्सव (सौ.सोशल मीडिया)
Khatu Shyam Birthday 2025: हर साल की तरह इस बार भी हारे का सहारा बाबा खाटू श्याम का जन्मोत्सव 1 नवंबर 2025 को मनाया जा रहा हैं। देशभर में भक्त अपने-अपने घरों और मंदिरों में खाटू श्याम का जन्मोत्सव मनाते हैं।
राजस्थान की खाटू नगरी में स्थित बाबा श्याम का भव्य मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। हर साल लाखों भक्त यहां बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। ‘हारे का सहारा, खाटू श्याम हमारा’ यह पंक्ति हर उस व्यक्ति के दिल में गूंजती है, जो बाबा श्याम पर गहरा विश्वास रखता है। लेकिन बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता कि बाबा श्याम जी का जन्मदिन कब मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खाटू श्याम बाबा का जन्म कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, यानी देवउठनी एकादशी के दिन हुआ था। इस वर्ष देवउठनी एकादशी 1 नवंबर 2025, शनिवार को मनाई जाएगी।
इसी दिन पूरे देशभर में, विशेषकर राजस्थान के सीकर जिले की खाटू नगरी में बाबा श्याम जी का जन्मोत्सव भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा। आइए नवंबर महीने की किस तारीख को मनेगा बाबा खाटू श्याम का जन्मोत्सव और इससे जुड़े महत्वपूर्ण बातें-
1 नवंबर को जब खाटू नगरी में ‘जय श्याम’ के जयकारे गूंजेंगे, तब भक्तजन अपने घरों और मंदिरों में बाबा के जन्मोत्सव को हर्षोल्लास से मनाएंगे। यह दिन सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और आस्था का संगम होगा। उस बाबा श्याम के नाम, जो हर हारने वाले का सहारा बनते हैं।
आपको बता दें, इस शुभ अवसर पर मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना, भजन संध्या और प्रसाद वितरण के आयोजन होते हैं। हजारों श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए उमड़ते हैं और चूरमा तथा पेड़े का भोग लगाते हैं, जिसे बाबा का प्रिय प्रसाद माना जाता है। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा को चूरमा या दूध के पेड़े का भोग लगाकर प्रार्थना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अगर आप भी इस वर्ष बाबा को घर पर बने दूध के पेड़े का भोग लगाना चाहते हैं, तो इसे बनाना बेहद आसान है। सबसे पहले दूध को लगातार चलाते हुए गाढ़ा कर लें, जिससे खोया तैयार हो जाए। फिर एक पैन में थोड़ा घी डालकर खोया भूनें, जब तक वह हल्का सुनहरा रंग न ले ले।
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इसमें इलायची पाउडर मिलाकर ठंडा होने दें। जब मिश्रण ठंडा हो जाए, तो उसमें चीनी मिलाएं, अच्छे से गूंथें और छोटे-छोटे पेड़े आकार में बना लें। यही पेड़े बाबा श्याम जी को भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं।