बांके बिहारी मंदिर, फोटो- सोशल मीडिया
Banke Bihari Halwai Payment Issue: मथुरा के वृंदावन स्थित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। सफला एकादशी के दिन हलवाइयों के समय पर न पहुंचने के कारण ठाकुर जी को भोग लगाने की सदियों पुरानी परंपरा टूट गई, जिससे सेवायतों में भारी गुस्सा फैल गया।
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में 15 दिसंबर 2025 को एक बड़ी घटना हुई, जब यहां सैकड़ों साल पुरानी भोग परंपरा टूट गई। हलवाइयों के समय पर नहीं पहुंच पाने के कारण मंदिर में गरमा-गरमी का माहौल बन गया, और सुबह लगने वाला प्रसाद कई घंटों की देरी से लगाया गया। सफला एकादशी पर ठाकुर बांके बिहारी महाराज को दोपहर का राजभोग भी समय पर नहीं मिल सका।
मंदिर में ठाकुर जी को प्रतिदिन चार भोग लगाए जाते हैं- सुबह श्रृंगार के बाद बालभोग, दोपहर में राजभोग, शाम को उत्थापन भोग और रात को शयन भोग। सेवायतों ने मांग की है कि हलवाइयों का तुरंत भुगतान किया जाए ताकि आगे चलकर ठाकुर जी की सेवा में कोई रुकावट न आए।
एक के बाद एक भोग में हो रही देरी से गोस्वामी समाज में गुस्सा साफ तौर पर देखा गया। बांके बिहारी मंदिर की हाई पावर कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया कि भोग में देरी की वजह कमेटी की ओर से मंदिर के लिए तय किए गए हलवाइयों का समय पर नहीं पहुंचना रहा। मंदिर प्रबंधन में एक व्यक्ति को भोग तैयार कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो हलवाइयों से भोग बनवाकर सेवाधिकारी को पहुंचाते हैं।
हंगामे के बाद यह जानकारी सामने आई कि मंदिर प्रबंधन कमेटी ने हलवाइयों का पिछला भुगतान नहीं किया था, जिसके कारण वे काम पर ही नहीं आए। इस विवाद के चलते ही गरमा-गरमी का माहौल बन गया। सेवायतों का कहना है कि यह पहली बार हुआ है कि बाल भोग की परंपरा टूटी है। दिनेश गोस्वामी ने दावा किया कि उनके जीवन में पहली बार ऐसा हुआ है कि ठाकुर जी को बाल भोग नहीं लगाया जा सका।
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यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसी साल अगस्त में मंदिर प्रबंधन के लिए गठित की गई थी, और इसके गठन के बाद से ही इसे लेकर विवाद होता रहा है। हालांकि, दिनेश गोस्वामी ने आश्वस्त किया है कि हलवाई से बात हो गई है और यह सुनिश्चित कर लिया गया है कि ठाकुरजी के भोग में दोबारा कोई व्यवधान न पहुंचे।