अमृतपाल सिंह व पंजाब के सीएम भगवंत मान
चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए खालिस्तानी समर्थक और ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के नेता अमृतपाल सिंह के खिलाफ लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) को हटा दिया है। इससे पहले अमृतपाल और उसके 7 सहयोगियों को असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया था। अब उन्हें पंजाब वापस लाया जाएगा और उन पर राज्य में ही केस चलेगा। फरवरी 2023 में अजनाला पुलिस थाने पर हमले का आरोपी अमृतपाल पिछले साल लोकसभा चुनाव जीतकर संसद भी पहुंच चुका है। पंजाब सरकार ने इस फैसले को राज्य में अपराध मामलों की तेजी से सुनवाई से जोड़ा है।
अमृतपाल सिंह और उनके सहयोगी पिछले दो सालों से NSA के तहत डिब्रूगढ़ जेल में बंद थे। इनमें से सात को अब पंजाब लाया जाएगा। पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, ये सभी अजनाला थाने पर हुए हमले के मामले में जांच का सामना करेंगे। अमृतपाल सिंह के ये सात सहयोगी बंसा सिंह, भगवंत सिंह बाजेखाना, गुरमीत सिंह बुक्कनवाल, दलजीत सिंह कलसी, गुरिंदरपाल सिंह गुरी औजला, हरजीत सिंह और कुलवंत सिंह धालीवाल हैं।
भगवंत मान सरकार का यह कदम राज्य में कानून व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में माना जा रहा है। सरकार पहले ही संकेत दे चुकी थी कि सभी आपराधिक मामलों पर तेजी से सुनवाई होगी। अब अमृतपाल सिंह के खिलाफ अजनाला हिंसा मामले में कानूनी प्रक्रिया तेज होगी। उसके परिवार की भी यही मांग थी कि अमृतपाल को पंजाब लाया जाए और राज्य में ही उस पर मुकदमा चले।
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23 फरवरी 2023 को अमृतपाल सिंह के नेतृत्व में 200-250 लोगों की भीड़ ने हथियारों से लैस होकर अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला किया था। वे अमृतपाल के एक सहयोगी को छुड़ाने की मांग कर रहे थे। इस हमले में छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। इसके बाद अमृतपाल और उसके कई साथियों पर NSA के तहत कार्रवाई की गई थी और उन्हें असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया था। हालांकि, जेल में रहते हुए भी अमृतपाल ने खडूर साहिब सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर सभी को चौंका दिया था। अमृतपाल सिंह की पंजाब वापसी से एक बार फिर यह मामला चर्चा में आ गया है। क्या पंजाब की राज्य उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाएगी।