बाढ़ में डूबा नवोदय विद्यालय (फोटो- सोशल मीडिया)
Flood in Punjab: भारत कई राज्यों मे बिते कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बारिश ने पिछले 115 सालों का रिकार्ड तोड़ दिया है। दोनों राज्यों की नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। पंजाब के कई जिलों में बाढ़ जैसी स्थिती है। गुरदासपुर जिले में अचानाक आई बाढ़ के कारण यहां मौजूद जवाहर लाल नवोदय विद्यालय बुरी तरह प्रभावित हो गया, पूरा परिसर बाढ़ के पानी घुसने से 400 स्टूडेंट्स और टीचर्स स्कूल में ही फंस गए।
स्कूल की ग्राउंड फ्लोर पर करीब 5 फीट तक पानी भर गया है, जिसके चलते छात्रों को फर्स्ट फ्लोर पर शिफ्ट किया गया है। राहत और बचाव कार्यों के लिए NDRF और सेना की टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं। राज्य में भारी बारिश को देखते हुए सभी स्कूलों को 30 अगस्त तक बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार सुबह 8:30 बजे से बुधवार सुबह 8:30 बजे तक 296 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। यह पिछले 52 वर्षों में सबसे अधिक है। इससे पहले 9 अगस्त 1973 को 272.6 मिमी बारिश हुई थी।
नवोदय विद्यालय केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता से संचालित एक शैक्षणिक संस्थान है। गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नर इसके प्रशासक (संचालक) के रूप में कार्यरत हैं। ऐसी स्थिति में, जब स्कूल में फंसे छात्रों तक सहायता पहुंचने में देरी हुई, तो अभिभावकों में नाराजगी देखी गई।
VIDEO | Punjab: Jawahar Navodaya Vidyalaya in Gurdaspur flooded after heavy rain. Efforts are underway to rescue several students and staff stranded inside the school building.
(Source: Third Party)
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/h8lVze7WQr— Press Trust of India (@PTI_News) August 27, 2025
एक बच्चे के पिता ने कहा कि, आखिर जब सैलाब के चलते परिस्थिती खराब हो रही है थी, तो फिर बच्चों को पहले ही क्यों वापस नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा कि, प्रसाशन को जब तीन पहले से पता था कि बाढ़ से स्थिती खराब हो सकती है और जिले का बाकी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। ऐसे में नवोदय विद्यालय के बच्चों को क्यों घर नहीं भेजा गया।
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वहीं, दूसरी तरफ स्कूल प्रशासन में अभिभावकों के आश्वासन देते हुए कहा कि, वो सरकार से लगातार संपर्क में है और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। स्कूल प्रशासन ने कहा कि, अवासीय स्कूल होने के कारण बच्चों को उनके घर नहीं भेजा गया था।