ओपी राजभर, अनुप्रिया पटेल, संजय निषाद, सीएम योगी (फोटो-नवभारत डिजाइन)
लखनऊः उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं, क्योंकि आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव और 2026 के पंचायत चुनाव पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन NDA यूपी में बिखर गया है। जनवरी-फरवरी में होने वाले त्रिस्तरीय चुनाव में NDA चार भागों में बंट जाएगा। अनुप्रिया पटेल, संजय निषाद और अरुण राजभर ने भाजपा से अलग पंचायत चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने प्रयागराज में अकेले पंचायत चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इसके बाद निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद और सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने भी पंचायत चुनाव अपने-अपने दम पर लड़ने की घोषणा की है। अब बड़ा सवाल है कि तीनों पार्टियों के अलग होने से भाजपा क्या यूपी में अपना चुनावी वर्चस्व कायम रख पाएगी। अगर नतीजे मनमुताबिक न आए तो क्या इसका असर विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।
यूपी क्या सब कुछ ठीक चल रहा है?
पिछले 2-3 सालों की बात करें तो उत्तर प्रदेश की सियासत में काफी बदलाव देखने को मिला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और योगी आदित्यनाथ के संबंधों में पहले जैसे मिठास नहीं रही। इसके अलावा बहुत सारे विधायक सरकार के कामकाज से खुश नहीं है। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की हिंदूवादी छवि का प्रभाव में जनता में कम हो गया है, जिसका नमूना लोकसभा चुनाव में देखने को भी मिला। लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में भाजपा के साथी छोटे दलों को भी संघर्ष करना पड़ा था। यही कारण है कि गठबंधन तो छोटे दल रहना चाहते हैं, लेकिन अपनी शर्तों पर।
अलग चुनाव लड़ने क्यों लड़ रहीं एनडीए की पार्टियां
भाजपा से अलग चुनाव लड़ने की आमतौर पर दो वजहें बताई जा रही हैं। पहली यह की सभी पार्टियां जमीनी स्तर पर मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाना चाहती हैं। पंचायत के जारिए कार्यकर्ताओं को चुनावी समर में उतारेंगी। इससे कार्यकर्ताओं की नाराजगी कम होगी और पार्टी को मजबूती मिलेगी। अगर गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे तो बड़ा शेयर भाजपा को मिलेगा, जिससे कार्यकर्ता नाराज होकर पाला बदल लेंगे। वहीं दूसरी प्रमुख वजह है भाजपा पर दबाव डालना। ताकि अभी से भाजपा में दबाव में आए और विधानसभा चुनाव 2027 में ज्यादा सीट देने का दबाव बनाया जा सके।
पंचायत चुनाव में भाजपा को होगा नुकसान
पंचायत चुनाव में पिछली बार भाजपा और सपा से ज्यादा निर्दलियों ने बाजी मारी थी। इसलिए ज्यादातर दल अकेले चुनाव लड़ना चाहते हैं। इससे भाजपा को और ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि शहर के जिन क्षेत्रों में भाजपा मजबूत है उसी सीट पर सहयोगी दल भी चुनाव लड़ेगे तो मजबूरी में दलित-ओबीसी को नाम हमला करेंगे। इससे सपा का ज्यादा फायदा होगा। वहीं इसमें भी सबसे ज्यादा नुकसान अपना दल करेगी। क्योंकि पटेलों की आबादी प्रदेश में 9 प्रतिशत है। सभी पटेल अनुप्रिया को अपना नेता मानते हैं। पटेल समुदाय के लोग भाजपा की सफलता का एक बड़ा कारण है।
सुभासपा: गठबंधन नहीं करेंगे, कार्यकर्ताओं को अवसर देंगे
सुभाषपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण राजभर ने कहा, पंचायत चुनाव की पूरी तैयारी है। पंचायत चुनाव अपने दम पर पूरी दमदारी से लड़ेंगे। सभी जिलों में सभी सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ेगी। तीन चरण का सर्वे हो गया है। 850 दावेदारों ने टिकट के लिए आवेदन भी किया है। जिला पंचायत सदस्य के प्रत्येक प्रत्याशी को उसके वार्ड में छह हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया है, दो हजार सदस्य बनाना अनिवार्य है।
निषाद पार्टी: सभी जगह अपने दम पर लड़ेंगे
पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा, पंचायत चुनाव की तैयारी के लिए बैठक कर रहे हैं। सभी जगह हम चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे। यह चुनाव सिंबल का नहीं होता है। एक-एक सीट पर भाजपा के ही चार कार्यकर्ता चुनाव लड़ जाते हैं तो फिर किस बात का गठबंधन। सिंबल देना होता तो हम गठबंधन में चुनाव लड़ते। जिला पंचायत सदस्य और क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव बिना गठबंधन के लड़ेंगे।