कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
Bihar Election Opinion Poll: बिहार विधानसभा चुनाव का औपचारिक ऐलान होना अभी बाकी है। लेकिन यहां होने वाले सियासी महाभारत में पलड़ा किसका भारी होने वाला है, इसे लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। सूबे में चल रही चुनावी हलचल के बीच एक ऐसा सर्वे आया है जिसने बड़े-बड़े नेताओं और सियासी पंडितों को भी चौंका दिया है।
16 अगस्त से 3 सितंबर तक, राहुल गांधी तेजस्वी यादव को साथ लेकर बिहार के दौरे पर रहे और जेडीयू-बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला। लेकिन नतीजा क्या निकला? इसका खुलासा जेवीसी की ताज़ा पोल रिपोर्ट में हुआ है, जिससे कांग्रेस पार्टी को गहरा झटका लगा है! पार्टी के लिए 2020 के चुनावों से भी बदतर नतीजे आने का अनुमान लगाया गया है।
सर्वे से पता चलता है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का “वोट चोरी” अभियान मतदाताओं को रास नहीं आया है, क्योंकि 52 प्रतिशत लोगों ने आरोपों को निराधार बताया है। वहीं, सीटों के आंकड़े ऐसे हैं कि वे कांग्रेस पार्टी के पैरों तले से राजनीतिक ज़मीन खिसकने का खतरा पैदा कर रहे हैं।
बिहार चुनाव 2025 के जनमत सर्वेक्षण में जेवीसी के अनुसार, इस साल नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) को 53 सीटें मिलने की उम्मीद है। दूसरी ओर, भाजपा को 71 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि राजद को 74 सीटें मिलने का अनुमान है।
इसका मतलब है कि राजद और भाजपा बराबरी की टक्कर में हैं, और जदयू भी पिछले चुनाव के मुकाबले बढ़त हासिल करती दिख रही है, जिसके 10 सीटें और जीतने का अनुमान है। इस बीच सवाल यह भी है कि बिहार में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का क्या होगा?
ओपिनियन पोल में सीटों की संख्या के मामले में एनडीए, महागठबंधन पर मज़बूत बढ़त बनाए हुए है। जेवीसी पोल के अनुसार, एनडीए को 131-150 सीटें मिलने की उम्मीद है, जिसमें भाजपा को 66-77 सीटें, जदयू को 52-58 सीटें और एनडीए के अन्य सहयोगियों को 13-15 सीटें मिल सकती हैं।
इसके अलावा महागठबंधन के लिए सर्वेक्षण में राजद को 57-71 सीटें मिलने का अनुमान है, उसके बाद कांग्रेस को 11-14 सीटें और अन्य को 13-18 सीटें मिलने का अनुमान है। इस तरह विपक्षी गठबंधन की कुल सीटों की संख्या 81-103 हो जाती है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को 4-6 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि एआईएमआईएम, बसपा और अन्य को 5-6 सीटें मिलने का अनुमान है।
एनडीए- सांकेतिक तस्वीर (डिजाइन)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिहार में अपनी पार्टी और जनाधार खोने की अफवाहों के विपरीत, बिहार चुनाव से पहले एक नए सर्वेक्षण से पता चलता है कि जेडीयू 2020 की तुलना में अधिक सीटें जीतने की संभावना है। नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद के सबसे संभावित उम्मीदवार के रूप में उभरे हैं।
जेवीसी पोल के अनुसार, इस साल नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) को 53 सीटें मिलने की उम्मीद है। यह 2020 की तुलना में दस सीटें अधिक और इस साल अगस्त में किए गए सर्वेक्षण के अनुमान से लगभग दोगुना है। पिछले विधानसभा चुनावों में, भाजपा और राजद ने क्रमशः 74 और 75 सीटें जीती थीं।
वोट शेयर के लिहाज से, एनडीए को 41-45 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है, जबकि महागठबंधन को 37-40 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है। जेवीसी सर्वे के अनुसार, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसे कई लोग आगामी चुनावों में “एक्स-फैक्टर” मान रहे हैं, 10-11 प्रतिशत वोट शेयर के साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। दूसरी ओर, कांग्रेस को एक और झटका लग सकता है।
मुख्यमंत्री के सवाल पर, अधिकांश उत्तरदाताओं ने नीतीश कुमार को प्राथमिकता दी, 27 प्रतिशत ने उन्हें वोट दिया। राजद के तेजस्वी यादव 25 प्रतिशत वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे, उसके बाद प्रशांत किशोर (15%), चिराग पासवान (11%) और सम्राट चौधरी (8%) रहे।
राहुल गांधी ने वोट चोरी और एसआईआर मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाया। तेजस्वी यादव से बातचीत की और एनडीए सरकार पर भी हमला बोला। हालांकि, सर्वेक्षण बताता है कि यह रणनीति मतदाताओं को रास नहीं आई। इसके विपरीत, कांग्रेस की राजनीतिक ज़मीन और खिसकती दिख रही है। राहुल गांधी की रणनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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सवाल यह है कि क्या बिहार के चुनावी दंगल में कांग्रेस वही गलती दोहराने जा रही है जो राजद और तेजस्वी यादव के लिए झटका साबित होने वाली है। ज़ाहिर है, 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जेवीसी के ताज़ा सर्वे ने कांग्रेस की चिंताएं और बढ़ा दी हैं।