सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा
पटना : वक्फ बिल दोनों सदन से पारित हो चुका है। वक्फ बिल पारित होने से बिहार की राजनीति में अलग से भूचाल आया हुआ है। बिहार में जनता दल यूनाइटेड के लिए वक्फ संशोधन बिल, 2025 का समर्थन करना राजनीतिक रूप से भारी पड़ गया है। इस बिल को लेकर जेडीयू के पांच मुस्लिम नेता ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस अगले 6-7 महीने के अंदर बिहार विधानसभा चुनाव भी होना है। ऐसे में सीएम नीतीश की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।
दरअसल, बिहार के डिप्टी सीएम और वरिष्ठ भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक का विरोध करने वालों को देशद्रोही माना जाएगा और उन्हें जेल भेजा जाएगा। यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित हो चुका है।
बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने कहा, “जो लोग वक्फ संशोधन का पालन नहीं करने की धमकी दे रहे हैं, उन्हें जेल जाना होगा। यह पाकिस्तान नहीं, हिंदुस्तान है। यह नरेंद्र मोदी सरकार है।” उन्होंने कहा, “यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में विधिवत पारित हो चुका है। जो लोग अभी भी कह रहे हैं कि वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे, वे देशद्रोही हैं। ऐसे लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।”
आपको बता दें भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में बिहार के डिप्टी सीएम के इस विवादास्पद बयान के कारण बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में बवाल हो सकता है। बिहार डिप्टी सीएम के वक्फ बिल वाले बयान से देश की राजनीति में बड़ा भूचाल आ सकता है।
इस बीच, बीते गुरुवार को विधेयक की आलोचना करने वाले जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने शुक्रवार को कहा, “जो कातिल है वही मुंशीफ है, किससे न्याय मांगे।” जेडीयू भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का तीसरा सबसे बड़ा घटक है और उसने विधेयक का समर्थन किया है।
जेडीयू एमएलसी गौस ने भाजपा पर भी निशाना साधा और कहा, “अगर भाजपा वास्तव में मुसलमानों के कल्याण के बारे में सोच रही है, तो वह न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग और न्यायमूर्ति आर सच्चर समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू क्यों नहीं कर रही है?” एक अन्य जेडीयू नेता और पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने भी विधेयक के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था और पूर्वी चंपारण के एक जिला नेता मोहम्मद कासिम अंसारी ने पार्टी छोड़ दी थी।
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जदयू के एक वरिष्ठ मुस्लिम नेता ने नाम न बताने की शर्त पर मीडिया से कहा, “मुझे यकीन नहीं है कि पार्टी द्वारा विधेयक को समर्थन दिए जाने पर नीतीश कुमार को पूरी तरह से विश्वास में लिया गया है या नहीं। हमारी जानकारी के अनुसार, नीतीश कुमार चाहते थे कि पार्टी द्वारा समर्थन दिए जाने से पहले विधेयक के विवादास्पद हिस्सों का समाधान किया जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”