शिवसेना की आज 58वीं वर्षगाठ है। बालासाहेब ठाकरे ने आज ही के दिन 19 जून 1966 में शिवसेना की स्थापना की थी। उन्होंने महाराष्ट्र के स्थानीय लोगों के अधिकारों के लिए पार्टी का गठन किया था। बाल ठाकरे ने शिवसेना बनाने के लिए भूमिपुत्र का नारा दिया था। हालांकि, अब शिवसेना के हालात कुछ ठिक नहीं है और पार्टी अब दो टुकड़ों में बंट गई है, क्योंकि सत्ता के लिए कांग्रेस के साथ उद्धव ठाकरे के हाथ मिलाने से शिवसैनिकों में काफी नाराजी थी।
शिवसेना स्थापना दिवस
बालासाहेब ठाकरे ने आज ही के 19 जून 1966 में शिवसेना की स्थापना की थी। शिवसेना में 'शिव' का मतलब महाराष्ट्र के प्रतिक शिवाजी महाराज हैं। जबकि 'सेना' मतलब फौज है। उन्होंने महाराष्ट्र के स्थानीय लोगों के अधिकारों के लिए पार्टी का गठन किया था। बाल ठाकरे ने शिवसेना बनाने के लिए भूमिपुत्र का नारा दिया था।
शुरुआती दिनों में पार्टी को काफी लोकप्रियता मिली। पार्टी के गठन के समय बाल ठाकरे ने नारा दिया था। 80 प्रतिशत समाजसेवा, 20 प्रतिशत राजनीति। हालांकि कुछ सालों बाद ये नारा हकीकत से दूर हो गया।
शिवसेना ने अपना पहला चुनाव साल 1971 में लढ़ा था। इस चुनाव में पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं जीता। साल 1989 में लोकसभा चुनाव में पहली बार शिवसेना का सांसद चुना गया था। जबकि पार्टी ने साल 1990 में पहली बार महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव लड़ा था। तब पार्टी के 52 विधायक चुने गए थे।
पिछले कुछ दशकों से मुंबई की महानगरपालिका पर शिवसेना का ही राज रहा है। साल 1995 में भाजपा- शिवसेना के गठबंधन ने महाराष्ट्र में पहली बार अपनी सरकार बनाई। उस दौरान मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने थे।
साल 2003 में बाल ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। इसी फैसले के बाद दिसंबर 2005 आते-आते राज ठाकरे ने अपनी राह शिवसेना से अलग कर ली। राज ठाकरे ने साल 2006 में अपनी नई पार्टी महाकाष्ट्र नवनिर्मान सेना का गठन किया।
शिवसेना ने अक्टूबर 2014 के विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बनने से बीजेपी से 25 साल पुराना रिश्ता तोड़ दिया। शिवसेना और बीजेपी अलग-अलग हो चुनाव लड़ा था। हालांकि नतीजों के बाद फिर से बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन की सरकार बनाई।
इसके बाद 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुआ। शिवसेना, बीजेपी के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ा। जहां भाजपा को 105 और शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की। गठबंधन बहुमत तो मिला लेकिन सरकार बनाने के फॉर्मूले पर पेंच फंस गया। जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और NCP के साथ मिलकर सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बने।
सत्ता के लिए कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने से शिवसैनिकों में काफी नाराजी थी। जिसके बाद से ठाकरे परिवार और शिवसैनिकों के बीच के रिश्तों में दरार बढ़ी और एकनाथ शिंदे ने जून 2022 कुछ विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे गुट से अलग हो गए। एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सत्ता स्थापन की और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी बने।
अभी शिवसेना दो गुटों शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और शिवसेना (शिंदे गुट) में बंटी हुई है। चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना करार दिया है। तब से एकनाथ शिंदें पार्टी के प्रमुख नेता के स्थान पर है।