Diwali Celebration in India: कहीं आतिशबाज़ी से आसमान रोशन होता है, तो कहीं शांत दीपों से नदियों के घाट जगमगाते हैं। भारत के कुछ हिस्से में ऐसी ही कुछ परंपराएं मौजूद है जो त्योहार को खास बना देती है।
दिवाली में प्रचलित खास परंपराएं (सौ.सोशल मीडिया)
Unique Diwali Traditions: दिवाली का त्योहार दीयों की रोशनी और उत्साह का सबसे बड़ा पर्व है। जहां भारत में सिर्फ दीपक जलाने ही नहीं कई तरह की परंपराएं सजती है। कहीं आतिशबाज़ी से आसमान रोशन होता है, तो कहीं शांत दीपों से नदियों के घाट जगमगाते हैं। भारत के कुछ हिस्से में ऐसी ही कुछ परंपराएं मौजूद है जो त्योहार को खास बना देती है।
1. पुष्कर का ऊंट मेला- राजस्थान के पुष्कर जिले में दिवाली समय ऊंट मेला लगता है जो किसी उत्सव से कम नहीं होता। इस खास मेले में हजारों ऊंट, घोड़े और पशुपालक हिस्सा लेते हैं तो वहीं पर रेतीली ज़मीन पर रंग बिरंगे कपड़े, लोक नृत्य और संगीत पूरे माहौल को जीवंत बना देता है। वहीं पर शाम को जब झील के किनारे दीप जलाए जाते हैं जो खास अनुभव देता है।
2. नरक चतुर्दशी पुतला दहन- गोवा में दिवाली के मौके पर खास तरह की परंपरा का सार मिलता है। यहां पर नरक चतुर्दशी के दिन सूरज निकलने से पहले शुरू हो जाती है, जब लोग राक्षस नरकासुर के पुतले को जलाते हैं। रावण दहण की तरह ही राक्षस नरकासुर का पुतला बच्चे और युवा कई दिनों पहले से बांस, कपड़े और रंगों से बनाते हैं। सुबह होते ही इन पुतलों को पटाखों के साथ जलाया जाता है. यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है।
3. कौंरिया काठी और बड़बदुआ डाका-ओडिशा में दिवाली के मौके पर इस खास परंपरा का उल्लेख मिलता है। इसमें परंपरा के अनुसार, रात को लोग जलती हुई लकड़ियां लेकर घरों के सामने खड़े होते हैं और पुरखों को याद करते हुए एक खास मंत्र बोलते हैं, जिसमें उन्हें घर आने का न्योता दिया जाता है। इस परंपरा को लेकर माना जाता है कि इस रात पुरखों की आत्माएँ लौटती हैं और अपने घरवालों को आशीर्वाद देती हैं। यह खास परंपरा का स्वरूप है।
4. देव दीपावली- उत्तरप्रदेश के वाराणसी में दिवाली त्योहार पर खास झलक देखने के लिए मिलती है देव दीपावली की, जो दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है। इस दिन गंगा के घाटों पर लाखों दीपक जलाए जाते हैं, वहीं पर पुजारी आरती करते हैं, भक्त नावों में बैठकर जल में दीप प्रवाहित करते हैं। यह दृश्य इतना मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है कि देखने वाला उसे कभी नहीं भूल सकता। यहां पर रोशनी ही नहीं भावनाओं का मेल होता है।
5. कार्तिगाई दीपम- दक्षिण भारत के तिरुवन्नामलाई में यह खास तरह का पर्व होता है। इस पर्व के अनुसार, अरुणाचल पर्वत की चोटी पर एक विशाल दीप जलाया जाता है, जिसे दूर दूर से लोग देख सकते हैं। इसके अलावा मंदिरों और घरों में दीयों की कतारें सजाई जाती हैं। इसे भगवान शिव के प्रकाश रूप का प्रतीक माना जाता है वहीं पर यह दिवाली से कुछ दिन बाद होती है लेकिन भावना वही होती है।
6. बंदी छोड़ दिवस- पंजाब में सिख समुदाय द्वारा दिवाली के दिन गुरु हरगोबिंद जी की रिहाई के रूप में मनाया जाता है। इस खास मौके पर अमृतसर का स्वर्ण मंदिर इस दिन दीयों से जगमगाता है। बताया जा रहा है कि, लंगर, भजन और सेवा के इस माहौल में श्रद्धा की एक गहरी भावना देखने को मिलती है। यह परंपरा नहीं दिवाली पर खुशी का ही नहीं, बल्कि स्वतंत्रता और न्याय का भी प्रतीक भी है।
7. काली पूजा- पश्चिम बंगाल में मां काली की आराधना होती है। इस खास पर्व के दौरान डरावनी लेकिन शक्तिशाली मूर्तियां, लाल रंग की रोशनी और धूप दीपों की सुगंध से कोलकाता की गलियां भर जाती हैं। दरअसल यह पूजा दिखाती है कि दिवाली सिर्फ सौम्यता की नहीं, बल्कि शक्ति और साहस की भी पहचान है। इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।