दिवाली दो दिन पहले शुरू हो जाता है और दीपावली के दो दिन बाद तक मनाया जाता है।दीपावली का पर्व सदियों से मनाया जा रहा है। ये पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत में अलग-अलग तरीके और परंपरा से मनाई जाती है
दिवाली दो दिन पहले शुरू हो जाता है और दीपावली के दो दिन बाद तक मनाया जाता है।दीपावली का पर्व सदियों से मनाया जा रहा है। ये पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है।
उत्तर से दक्षिण भारत तक दीपोत्सव को मनाने के तरीके और इससे जुड़ी कहानियों के बारे में आइए जाने
देश भर में इस पर्व को मनाने के अलग-अलग रीति-रिवाज और तरीके हैं। कहीं दीपोत्सव पर लक्ष्मी गणेश का पूजन होता है तो कहीं श्रीराम और माता सीता के आगमन की खुशियां मनाई जाती हैं।
भारत में दीपावली के मौके पर घरों की सफाई, रंगोली बनाना, और लक्ष्मी-गणेश पूजा प्रमुख होता है।यहां पटाखों का चलन भी खूब देखा जाता है।
उत्तर भारत में दिवाली: भगवान विष्णु के अवतार श्री राम 14 वर्षों का वनवास और रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे, तो नगरवासियों ने उनके स्वागत के लिए दीप जलाए थे। इस वा उत्तर भारत में दीपावली के मौके पर दीये जलाने और प्रकाश पर्व मनाने का महत्व है।
दक्षिण भारत में दिवाली: यहां दीपावली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से दीपावली उत्सव आरंभ हो जाता है।
पश्चिम भारत में दीपोत्सव: भारत के पश्चिमी राज्यों खासकर गुजरात और महाराष्ट्र में दीपावली का पर्व व्यापारिक तौर पर महत्वपूर्ण है। यहां दीपावली व्यापारिक वर्ष की शुरुआत के रूप में मनाई जाती है। दीपावली के मौके पर व्यापारी अपने बही खातों की पूजा करते हैं और नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत करते हैं।
पूर्वी भारत की दिवाली: भारत के पूर्व में पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्य शामिल हैं, जहां दीपावली का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है। दिवाली के मौके पर यहां काली पूजा होती है, जिसमें मां काली की विशेष पूजा की जाती है।