वाड़ी करीब लावा गाव में गत 200 वर्ष से होली के 5 दिन पश्चात पंचमी को बैल रहित बंडिया दौड़ने का अनोखा उपक्रम देखने मंगलवार को कार्यक्रम स्थल पर हजारों की भीड़ उपस्थित थी। गाव के गोरले परिवार के काशीबा गोरले द्वारा 250 वर्ष पूर्व प्रारंभ की गई यह परंपरा संचालित की जाती है।
दोपहर को गोरले परिवार के घर से भगत देवनाथ गोरले उम्र 65 वर्ष अपने सहकारियों के साथ निकले और सोनबा बाबा देवस्थान मंदिर पहुंचे। आयोजकों द्वारा यहां उचित व्यवस्था की गई थी। यह देखने नागपुर के दूर-दराज से हजारों की संख्या में भक्त उपस्थित थे।
4 बजे भगत देवनाथ गोरले ने मंदिर में पूजा की, फिर एक बड़े झूले में आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा उन्हें झुलाया गया। पश्चात आरती व बकरे की बलि चढ़ाई गई। दूसरी ओर पंच समिति द्वारा कुछ दूरी पर 8 से 9 खाली बंडिया आपस में बांधकर तैयार रखी गई थीं।
आपस में बांधी हुई इन बंडियों के सबसे आगे की बंडी पर झूले से उतरकर बाबा देवनाथ गोरले चलते हुए सबसे आगे की बंडी पर चढ़कर सामने खड़े हो गए। उनके खड़े होते ही जो खाली पीछे बांधी हुई बंडियों पर 100 के करीब व्यक्ति एक-दूसरे को पकड़कर सिर पर कपड़ा बांधकर खड़े हुए। इधर बाबा ने "होकरे होकरे हो का" जोर से उच्चारण किया।
बंडी के सामने 10-12 धूरकरी युवकों ने बंडियों को खींचना प्रारंभ किया। और सभी ने सोनबा बाबा की जय-जयकार की तथा यह बंडियां आगे दौड़ना प्रारंभ किया। इस अनोखे उपक्रम को देखने के लिए रास्तों के दोनों ओर तथा घरों के ऊपर बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष, युवक इसे देखने हेतु खड़े थे। बाबा के साथ यह सभी बंडियां करीबन 1 किमी तक दौड़ती चली गईं।
इस अनोखे उपक्रम को सफल बनाने हेतु भगत गोरले परिवार सहित कमलेस हिरणवार, राजन हिरणवार, ज्योत्सना नितनवरे सरपंच, सुजित नितनवरे पूर्व जीप सदस्य, रॉबीन शेलारे उपसरपंच, महेश चोखांद्रे संचालक कृषि उत्पन्न बाजार समिति, पांडुरंग बोरकर माजी उपसरपंच, शेषराव गोरले, मोरेश्वर गोरले, ग्राम पंचायत सदस्य रामेश्वर ठवळे, साधना बबन वानखेडे, रुपाली मेश्राम, सुनंदा चोखांद्रे, पंडित, ग्राम पंचायत ने सफलतार्थ प्रयास किए।
वाड़ी पुलिस निरीक्षक राजेश तटकरे के मार्गदर्शन में उचित बंदोबस्त रखा गया था। इस कार्यक्रम को देखने हेतु उमड़ी भीड़ से यात्रा जैसा माहौल निर्माण हुआ दिखाई दिया।
19 मार्च बुधवार शाम को मनोरंजन के विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाने की जानकारी आयोजकों द्वारा दी गई।
लावा में बैल बंडियां दौड़ने में कोई चमत्कार नहीं है। यह विज्ञान के न्यूटन की गति से, मानवी बल, खींचे जाने से संचालित होती है। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का यह कहना है।
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के पदाधिकारी हरीश देशमुख, बबलू बहादुरे, भगवान खरात, सुनील वंजारी, निलेश पाटील, नरेश चोखांद्रे ने एक प्रेस पत्र जारी कर स्पष्ट किया है।