साल 2024 का क्रिसमस कुछ ही दिनों पर है। भारत में ऐसे कई प्रसिद्ध चर्च हैं, जहां पर आपका क्रिसमस बेहतरीन और यादगार बन जाएगा। यह सब ऐसे चर्च हैं जिनका इतिहास काफी समृद्ध है। जानते हैं ऐसे ही कुछ चर्च के बारे में...
1854 में बने ऑल सेंट चर्च को कुन्नूर का सबसे खूबसूरत तोहफा कहा जा सकता है। कोलोनियल जमाने में बना चर्च असल में अंगलिकन चर्च है जो दिखने में बेहद खूबसूरत है। यह चर्च बाहर से जितना खूबसूरत है, अंदर से उससे कहीं ज्यादा शानदार है। यह चर्च अंदर से लकड़ी से बना हुआ है जो इसे पुराने समय से जोड़ता है। इस चर्च की खिड़कियों पर भी रंग-बिरंगे काँच लगाए गए हैं जिससे आपको अंग्रेजों के जमाने में होने का एहसास होगा। चर्च के ऊपर एक डोम भी है और यह आसपास से देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है।
बेसिलिका ऑफ़ बोम जीसस गोवा स्थित इस चर्च का निर्माण 1605 में बनकर तैयार हुआ। यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। यहां मध्यरात्रि मास और सेंट फ्रांसिस जेवियर के अवशेष हैं। इस चर्च की बनावट बरोक आर्किटेक्चर के नक्शे पर की गई है जिससे इसे एक अलग पहचान मिलती है। लगभग 400 साल पुराने इस चर्च को अब यूनेस्को द्वारा विश्व हेरिटेज साइट की सूची में भी शामिल किया जा चुका है।
क्राइस्ट चर्च शिमला में स्थित उत्तर भारत का दूसरा सबसे पुराना चर्च है। इस चर्च को बनाने में कुल 11 सालों का समय लगा था और आज यह चर्च भारत की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में शुमार हो गया है। इस चर्च की बनावट नियो गोथिक आर्किटेक्चर को ध्यान में रखकर की गई है जो यकीनन इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना देती है।
1686 में बने इमैक्यूलेट कॉन्सेप्शन कैथेड्रल चर्च को पांडिचेरी की शान कहना भी गलत नहीं होगा। यह चर्च केवल पांडिचेरी की नहीं बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है। इसी वजह से इसे देखने देशभर से लोगों का आना लगा रहता है। सेंट पीटर्स को समर्पित यह चर्च एक समय पर छोटा चैपल हुआ करता था। बाद में इसे आज दिखाई देने वाले रूप में ढाल दिया गया। इस चर्च की खास बात यह है कि अंग्रेजों द्वारा किए गए हमले के बाद भी यह चर्च मजबूती से खड़ा रहा था। दूर से देखने में यह सफेद और सुनहरे रंग से सजा चर्च किसी महल से कम नहीं लगता है।
कोच्चि किले में एक बेसिलिका जो कोचीन के सूबा का कैथेड्रल चर्च है। चर्च के अंदर आपको जगह-जगह पर ईसाई धर्म से जुड़ी अलग-अलग मूर्तियाँ रखी दिखाई देंगी। चर्च की दीवारों पर 7 बड़ी-बड़ी पेंटिंग लगाई गई हैं। खिड़कियों पर रंग-बिरंगे काँच का काम किया गया है। ये सभी चीजें इस चर्च को सबसे अलग लेकिन सबसे शानदार बनाती हैं। कोच्चि की सबसे मोहक जगहों में शुमार और क्रिसमस के समय बेहतरीन लगने वाले इस चर्च को देखना बनता है।
पुराने गोवा के पंजिम में स्थित से कैथेड्रल, से कैथेड्रल सेंट कैथरीन ऑफ एलेक्जेंड्रिया को समर्पित है। यह चर्च भारत ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक है, यह चर्च हर जगह से पर्यटकों की भीड़ को आकर्षित करता है। एशिया के सबसे बड़े चर्चों में से एक जिसमें आधी रात में मास होता है और जिसमें हजारों लोग आते हैं।
विक्टोरियन शैली की वास्तुकला वाला सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च कोलकाता में स्थित है। अंग्रेजों द्वारा बनवाए गए इस चर्च की वास्तुकला भारतीय और गोथिक आर्किटेक्चर का बेहतरीन मिश्रण है। यह उत्सव की भावना का अनुभव करने के लिए एक शानदार जगह है। कोलकाता का सेंट पॉल कैथेड्रल एशिया का पहला एपिस्कोपालियन चर्च होने का गौरव प्राप्त है।
सेंट पीटर्स चर्च जो कि केरल के पथानमथिट्टा जिले के तिरुवल्ला तालुका में पारुमला में स्थित है। इसे पारुमाला चर्च के नाम से भी जाना जाता है, यह प्रतिष्ठित मंदिर बिशप का दफन स्थान है। मार ग्रेगोरियस मेट्रोपॉलिटन एक चर्च है जिसमें शांत क्रिसमस उत्सव मनाया जाता है, जिसमें धार्मिक प्रदर्शन के साथ मध्यरात्रि मास भी शामिल है।