सावन के महीने में एक ऐसे ही 5300 साल पुराने गोपेश्वर महादेव मंदिर की खासियत बता रहे है जहां पर माता पार्वती भगवान शिव का इंतजार कर रही है। वहीं पर बाबा का अलग रूप यहां देखने के लिए मिलता है।
गोपेश्वर महादेव मंदिर (सौ.सोशल मीडिया)
सावन का महीना जहां पर चल रहा है वहीं पर इस दौर में भगवान शिव की आराधना में शिवभक्त रमें हुए है जहां विधि-विधान के साथ घर में पूजा करने के बाद मंदिरों में बाबा का जलाभिषेक करते है। ऐसे ही सावन के महीने में एक ऐसे ही 5300 साल पुराने गोपेश्वर महादेव मंदिर की खासियत बता रहे है जहां पर माता पार्वती भगवान शिव का इंतजार कर रही है। वहीं पर बाबा का अलग रूप यहां देखने के लिए मिलता है।
दुनिया का सबसे अलग मंदिर भारत में वृंदावन में स्थित है जहां पर इस मंदिर में बाबा महादेव का नथनी पहनें अवतार नजर आता है। इस मंदिर का उल्लेख श्रीमद भागवत महापुराण में किया गया है। इस मंदिर में ही भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था जिसे देखने के लिए बाबा नथुनिया के अवतार में आए थे।
पुराण के मुताबिक, महादेव, माता पार्वती को बिना बताए ही वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण के यहां महारास देखने पहुंच गए थे उनका इस तरह से प्रवेश करना आसान नहीं था इसलिए वे एक गोपी की ही सलाह पर स्त्री रूप धारण किया, साड़ी पहनी, नाक में बड़ी सी नथुनी पहनी, कानों में बाली पहनी और 16 श्रृंगार किए।
जब माता पार्वती को पता चला कि, कैलाश पर्वत पर भगवान शिव नहीं है तो, वे भी वहां पर पहुंच गई वे अंदर महारास में प्रवेश करती लेकिन उन्हें डर था कि वे पुरूष ना बन जाएं इसलिए माता पार्वती ने द्वार पर ही भगवान शिव का इंतजार करना शुरू किया इसके बाद से भगवान गर्भगृह में विराजित हो गए औऱ माता इंतजार कर रही है।
शरद पूर्णिमा की रात यानी महारास के दिन बाबा 16 श्रृंगार धारण करते हैं, वैसे तो सावन में सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ उमड़ती है लेकिन यहां की शरद पूर्णिमा बेहद खास है।