प्रतीकात्मक तस्वीर
इंफाल: मणिपुर समेत नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में सक्रिय उग्रवादी गुट ‘Extortion Racket’ के जरिये हर साल वसूले गए करोड़ों रुपये की मदद से भारी संख्या में चीनी हथियार खरीद रहे हैं। पिछले कुछ सालों में भारतीय सुरक्षा बलों समेत आम लोगों के खिलाफ हमले में जिन हथियारों का इस्तेमाल किया गया है वो इन्हीं पैसों से खरीदे गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों से मिली जानकारी से खुलासा हुआ है कि नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में सक्रिय उग्रवादी गुटों के साथ-साथ म्यांमार और बांग्लादेश में रह रहे उग्रवादी गुट भी नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में ‘Extortion Racket’ चला रहे हैं।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां मणिपुर हिंसा के बाद अब नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में सक्रिय उग्रवादी गुटों के जबरन वसूली रैकेट को खत्म करने के लिए विशेष अभियान चलाने की तैयारी कर रही हैं। जिसका मकसद बॉर्डर के उस पार यानी म्यांमार में रह रहे उग्रवादी गुटों के भारत में चल रहे एक्सटॉर्शन रैकेट को भी खत्म करना है।
सुरक्षा एजेंसियों ने नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में सक्रिय उग्रवादी गुटों के ‘Extortion Racket’ पर एक रिपोर्ट तैयार की है जिससे पता चलता है कि कौन सा उग्रवादी गुट हर साल कितने करोड़ रुपये की वसूली कर रहा है। हालांकि देखा जाये तो नार्थ-ईस्ट के राज्यों में पिछले कई सालो से ‘Extortion Racket’ का खेल चल रहा है जिसके तहत उग्रवादी गुट नार्थ-ईस्ट में रह रहे व्यपारियों, पेट्रोल पंप मालिकों, मोटर मालिकों, होटल के मालिकों समेत कांट्रेक्टरों से भी वसूली करते रहे हैं. लेकिन अब सरकार की सभी एजेंसियां मिलकर ‘Extortion Racket’ पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की तैयारी में जुट गई हैं।
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नार्थ-ईस्ट में सक्रिय सभी उग्रवादी गुटों के तरफ से चलाये जा रहे ‘Extortion Racket’ से जुड़े डिटेल्स से पता चलता है कि हर साल कौन सा गुट कितने करोड़ रुपये की वसूली कर रहा है। नॉर्थ-ईस्ट के अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड राज्यों में मुख्य तौर से सक्रिय उग्रवादी गुट NSCN (IM) हर एक वाइन शाप से एक साल में 50 हज़ार रुपये, मेंबर विलेज कांउसिल से 20 हज़ार, ट्रांसपोर्ट एजेंसी से एक लाख रुपये, कांट्रेक्टरों से दो लाख रुपये, लोकल व्यापारियों से करीब 5 हजार रुपये और नान लोकल व्यपारियों से 30 हज़ार रुपये तक की वसूली करते हैं। ठीक इसी तरह से ULFA जो कि असम में सक्रिय है वो भी मुख्य तौर से चाय बगानों से हर साल करोड़ों रुपये की वसूली करता रहा है।