भूपेन हजारिका (सोर्स-सोशल मीडिया)
नवभारत डेस्क: एक आदमी में कितने हुनर में मास्टर हो सकता है? दो, चार, छ: या आठ? इससे ज्यादा शायद ही आप सोचते हों। लेकिन आज हम उस शख्स के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसने 10 से ज्यादा हुनर के जौहर दिखाए। जिसने पार्श्व गायक, गीतकार, संगीतकार, कवि, अभिनेता, लोकगायक, संपादक, फिल्म निर्माता, प्रोफेसर और राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छाप छोड़ी। हम बात कर रहे हैं भूपेन हजारिका की और देश आज यानी रविवार, 8 सितंबर को 98वीं जयंती मना रहा है।
भारत रत्न, मशहूर गायक, गीतकार और संगीतकार भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को हुआ था। असाधारण प्रतिभा के धनी हजारिका की आवाज में एक अलग ही तरह का प्रभाव था। उनके सुर इतने सटीक होते थे कि सीधे दिल तक पहुंच जाते थे। वह एक ऐसे कलाकार थे जो अपने गाने खुद लिखते, कंपोज करते और गाते थे। हाल ही में उनकी मौत के बाद यह बात सामने आई कि उनसे 28 साल छोटी एक अभिनेत्री उनसे प्यार करने लगी थी। दोनों 40 साल तक साथ रहे और किसी को पता भी नहीं चला।
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भूपेन हजारिका और मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री कल्पना लाजमी की दास्तान-ए-इश्क अपने आप में काफी फिल्मी है। उनकी आत्मकथा ‘भूपेन हजारिका: एज आई न्यू हिम’ के रिलीज होने के बाद दुनिया को पता चला कि कल्पना और भूपेन हजारिका 40 साल तक रिलेशनशिप में थे। कल्पना जब उनसे पहली बार मिलीं, तब उनकी उम्र 17 साल थी, जबकि भूपेन उस समय 45 साल के थे। दोनों के बीच 28 साल का अंतर था। इसके बावजूद वे एक-दूसरे के हमसफर बन गए।
अपनी आत्मकथा में लाजमी ने कहा है, ‘मेरी नजरें उनसे मिलीं और मुझे पहली नजर में ही प्यार हो गया… मैंने 40 साल बाद भी उनकी आंखों में इसका प्रतिबिंब देखा, जब उनके जीवन की रोशनी बुझने वाली थी।’ इस किताब को हॉपर कॉलिंस ने प्रकाशित किया था। अपने रिश्ते के बारे में बताते हुए कल्पना आगे कहती हैं.. ‘जवानी से लेकर बुढ़ापे तक हमारे जीवन में वही प्यार और जुनून बना रहा।’
कल्पना कहती हैं कि हमने अपनी जिंदगी में कई मोड़ देखे, कुछ ऐसे जिन्हें हम याद रखना चाहते हैं और कुछ अध्याय ऐसे थे जिन्हें हम कभी याद न करें तो ही अच्छा है। उन्होंने आगे कहा कि भूपेन और मेरी कहानी काफी अलग थी। हमारे साथ के 40 साल उतार-चढ़ाव से भरे रहे, हमारा सफर काफी उथल-पुथल भरा रहा है।’ बता दें कि कल्पना आजमी का भी साल 2017 में निधन हो गया था। वह लंबे समय से किडनी कैंसर से पीड़ित थीं।
भूपेन हजारिका ने अपने पूरे जीवन में करीब एक हजार गाने गाए। उन्होंने न सिर्फ असमिया भाषा में बल्कि हिंदी, बंगाली समेत कई अन्य भाषाओं में भी गाने गाए हैं। फिल्म रुदाली में उनका संगीत लोगों के मन में उतर गया। साहित्य में भी उनकी गहरी रुचि थी। गायन के अलावा उन्होंने 15 किताबें भी लिखी हैं। शकुंतला और प्रतिध्वनि जैसी खास फिल्मों के लिए उन्हें हमेशा एक फिल्म निर्माता के तौर पर याद किया जाएगा।
भूपेन हजारिका का 2011 में निधन हो गया था। साल 2019 में उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इससे पहले उन्हें पद्म भूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार समेत कई अलग-अलग पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका था।
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