यवतमाल में वोटिंग (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Low Women Voting: विधानसभा हो या लोकसभा पिछले एक वर्ष में जितने भी चुनाव हुए, उनमें लाड़ली बहनों की भूमिका बेहद निर्णायक साबित हुई। लेकिन मंगलवार को जिले में हुए नगर पालिका चुनाव में डेढ़ लाख महिला मतदाताओं में से पूरे 56,560 महिलाएं मतदान के लिए घर से बाहर ही नहीं निकलीं। बहनों के इस घटते उत्साह का फ़ायदा किसे होने वाला है और किसकी मुश्किल बढ़ने वाली है, इस पर फिलहाल चर्चा तेज हो गई है।
मंगलवार 2 दिसंबर को जिले के आर्णी, वणी, घाटंजी, दारव्हा, दिग्रस, उमरखेड, नेर, पुसद, पांढरकवड़ा और ढाणकी इन 10 जगहों पर सार्वत्रिक चुनाव सम्पन्न हुए। इन सभी स्थानों में मिलाकर कुल 3 लाख 30 हजार मतदाताओं की संख्या है। इनमें महिला मतदाता 1 लाख 65 हजार 234, यानी पुरुषों के लगभग बराबर हैं। लेकिन इनमें से 56 हजार 560 महिलाओं ने मतदान नहीं किया और सिर्फ 1 लाख 8 हजार महिलाओं ने वोट डाला।
अब इन महिलाओं में से कितनों को लाड़ली बहन योजना का लाभ मिला और कितनों को नहीं यह शोध का विषय है। लेकिन इतना जरूर स्पष्ट है कि लोकसभा और विधानसभा में निर्णायक साबित हुई लाड़ली बहन योजना स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में अपना जादू नहीं चला पाई।
पुसद में महिलाओं का मतदान प्रतिशत सबसे कम रहा। यहां कुल 31 हजार महिला मतदाताओं में से सिर्फ 18 हजार ने मतदान किया। उमरखेड में भी 20 हजार महिला मतदाताओं में से केवल 18 हजार ने वोट डाला। विशेष बात यह है कि इन दोनों पालिकाओं में सत्ताधारी दल के पदाधिकारियों की पत्नियां उम्मीदवार थीं।
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स्थानीय राजनीति में बढ़ती गुंडागर्दी से महिलाओं में वितृष्णा पैदा हुई है। उच्च शिक्षा के लिए बाहर गई युवतियाँ मतदान में अनुपस्थित रहीं। ‘सभी राजनेता एक जैसे’ यह विश्वास गहरा होता जा रहा है।
| पालिका | हुआ मतदान | मतदान नहीं किया |
|---|---|---|
| आर्णी | 17,903 | 8,954 |
| घाटंजी | 12,350 | 3,941 |
| वणी | 33,126 | 16,445 |
| दिग्रस | 26,463 | 10,912 |
| उमरखेड | 27,051 | 13,619 |
| पुसद | 39,170 | 24,062 |
| दारव्हा | 21,352 | 8,546 |
| पांढरकवड़ा | 18,534 | 8,192 |
| नेर नबाबपुर | 17,723 | 8,605 |
| ढाणकी | 10,637 | 3,071 |
| कुल | 2,24,309 | 1,06,347 |