यवतमाल न्यूज
Yavatmal News: यवतमाल में पिछले दो महीनों से जिले में अतिवृष्टि के कारण फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है। लेकिन इस नुकसान का पंचनामा करने के लिए कर्मचारियों की कमी भी खल रही है। इतने बड़े संकट के बावजूद जिले में पटवारियों के 42 पद खाली हैं। इससे यह सवाल उठता है कि किसानों से मिलकर उनके नुकसान का जायजा कौन लेगा। जिले के राजस्व विभाग का वर्तमान में 17 साल पुराने आंकड़ों पर आधारित है।
उस आंकड़ेबंद में भी ग्राम स्तर के कर्मचारियों के कई पद खाली हैं। जिले में दो हजार से अधिक राजस्व गांव हैं, लेकिन इन गांवों के संचालन के लिए केवल 685 पटवारी पद मंजूर हैं। ये पद पुराने जनसंख्या मानकों के अनुसार हैं और इनमें से भी कुछ रिक्त हैं, जिससे उपलब्ध मानव संसाधन अपर्याप्त पड़ रहा है। इस कारण गांवों में ग्रामीण राजस्व अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी उपलब्ध नहीं हो पाते।
गांव के पटवारी से मिलने के लिए ग्रामीणों को शहर तक आना पड़ता है। एक पटवारी के पास कई सर्कलों की जिम्मेदारी होती है, इसलिए उनसे मिलने की गारंटी नहीं होती। फिलहाल फसल नुकसान का पंचनामा करने के लिए पटवारियों की अत्यंत आवश्यकता है, लेकिन उनका समय दुर्लभ हो गया है। गांव स्तर पर खेती का पूरा लेखा-जोखा ग्राम राजस्व अधिकारियों के पास होता है।
सातबारा, आठ अ, फेरफार, आय प्रमाण पत्र, प्राकृतिक आपदा के समय सर्वेक्षण, निराधार योजना, एग्रीस्टैक, ऑनलाइन फसल पेरा पंजीकरण, गौण खनिज राजस्व की वसूली सहित कई जिम्मेदारियां ग्राम राजस्व अधिकारियों पर हैं। लेकिन उनकी संख्या कम होने के कारण ग्रामीणों को परेशानी सहनी पड़ रही है।
जिले में गांव स्तर का काम सुचारू रूप से चलाने के लिए 682 पटवारी सर्कल बनाए गए हैं। एक सर्कल में लगभग चार गांव आते हैं। जिले में 640 ग्राम राजस्व अधिकारियों की पदें भरी हुई हैं, जबकि शेष पद खाली हैं। एक ग्राम राजस्व अधिकारी को एक से अधिक सर्कल की जिम्मेदारी दी गई है। इसलिए रिक्त पदों को तुरंत भरने की आवश्यकता है।
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पटवारियों के कई पद खाली होने के कारण काम का दबाव बढ़ गया है। इसलिए शासन को तुरंत पदों की भर्ती पूरी करनी चाहिए। साथ ही फिलहाल पटवारियों को विभिन्न प्रकार के गैर-राजस्व कामों से मुक्त किया जाना चाहिए। इससे पटवारी किसानों के कामों को प्राथमिकता दे सकेंगे।
– बालकृष्ण गाढवे, केंद्रीय अध्यक्ष, विदर्भ पटवारी संघ