
Yavatmal Crime News:यवतमाल जिले (सोर्सः सोशल मीडिया)
Yavatmal Crime News: अपराध के मामलों में यवतमाल जिला अब राज्य के गृह विभाग में एक “पहचाना हुआ” जिला बनता जा रहा है। गंभीर अपराधों में नाबालिगों की बढ़ती संलिप्तता पुलिस और समाज दोनों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। इसी स्थिति पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से पुलिस ने वर्ष 2025 में ऑपरेशन प्रस्थान शुरू किया था, लेकिन वर्षभर के आंकड़े बताते हैं कि जिले में अपराध घटने के बजाय बढ़े हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ऑपरेशन प्रस्थान अपने उद्देश्यों में अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सका।
आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 की तुलना में 2025 में हत्या, अपहरण और घरों में सेंधमारी की घटनाओं में स्पष्ट बढ़ोतरी दर्ज की गई है। चिंताजनक तथ्य यह है कि इनमें से कई गंभीर अपराध अब भी अनडिटेक्टेड बने हुए हैं। जनवरी से दिसंबर 2025 के दौरान जिले में कुल 65 हत्याएं दर्ज की गईं, जबकि 2024 में यह संख्या 56 थी। इसी तरह, 2024 में 149 घरों में सेंधमारी की घटनाएं दर्ज हुई थीं, जो 2025 में बढ़कर 193 हो गईं, यानी 44 मामलों की वृद्धि। अपहरण के मामलों में भी इजाफा हुआ है। 2024 में 235 अपहरण, जबकि 2025 में 270 अपहरण दर्ज किए गए।
इसके अलावा, दोपहिया वाहन चोरी, जानलेवा हमले और घरेलू हिंसा की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं। वर्षभर में जिले में चोरी, घरों में सेंधमारी और जबरन चोरी के कुल 1,076 अपराध दर्ज हुए। इनमें 849 साधारण चोरी के मामले थे, जिनमें से केवल 449 मामलों का ही पुलिस खुलासा कर सकी। चोरी के 193 मामलों में से सिर्फ 76 मामलों का खुलासा हुआ है, जबकि 117 मामले अब भी जांचाधीन हैं। जबरन चोरी के 34 मामलों में से 29 मामलों को सुलझाया गया है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में गंभीर अपराध आज भी अनडिटेक्टेड बने हुए हैं। कई मामलों में नाबालिग बच्चों की संलिप्तता सामने आना विशेष रूप से चिंताजनक है।
यवतमाल के शिक्षक हिमांशु देशमुख की हत्या ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया था। इस सनसनीखेज हत्या को उनकी पत्नी—जो उसी स्कूल में शिक्षिका थी—ने नाबालिग छात्रों की मदद से अंजाम दिया। सुनियोजित तरीके से हत्या के बाद शव को चौसाला जंगल में ले जाकर जला दिया गया। हालांकि पुलिस ने इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया, लेकिन दो महीने पहले इसी जंगल में मिली एक मानव खोपड़ी और अन्य अवशेषों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। यह शव किसका है, इसका रहस्य आज भी बरकरार है।
वर्ष 2025 में जिले में ऑनलाइन ठगी के मामले भी बड़े पैमाने पर सामने आए। घाटंजी के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर से 35 लाख रुपये की ठगी की गई, जबकि यवतमाल के एक बुजुर्ग किसान से 96 लाख रुपये की साइबर ठगी हुई। इन मामलों की जांच के लिए साइबर सेल सक्रिय तो है, लेकिन मानव संसाधन की कमी के कारण इस विभाग पर कार्य का अत्यधिक दबाव बढ़ गया है।
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शहर सहित जिलेभर में अपराधों पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस विभाग लगातार कार्य कर रहा है। पुलिस अधीक्षक कुमार चिता ने कहा कि बीते वर्ष की तरह नए साल में भी अपराधों पर नकेल कसने के लिए पुलिस की ओर से निरंतर प्रयास जारी रहेंगे।
जिले की शान माने जाने वाले अवधूतवाड़ी पुलिस थाने का कामकाज इस वर्ष विवादों में रहा। थाने के प्रभारी नरेश रणधीर अपने केबिन में एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए एसीबी के जाल में फंस गए। इस घटना से यवतमाल पुलिस की पूरे महाराष्ट्र में काफी किरकिरी हुई। गौरतलब है कि पांच वर्ष पहले भी इसी क्षेत्र में तत्कालीन एलसीबी पीआई, एपीआई और एक कर्मचारी पर रिश्वत लेने और जबरन जमीन का बंधक पत्र बनवाने के आरोप लगे थे।






