संत मराजी महाराज से जुड़ा है श्रीक्षेत्र आसेगांव (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Yavatmal News: यवतमाल जिले के बाभुलगांव तहसील स्थित आसेगांव देवी का प्राचीन शक्तिपीठ नवरात्र उत्सव की भव्य शुरुआत के साथ श्रद्धालुओं के लिए खुल गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच घटस्थापना संपन्न हुई। अब अगले नौ दिनों तक यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी। आसेगांव देवी मंदिर से जुड़ी एक प्राचीन कथा है। सन 1670 में यहां मराजी नामक एक परम भक्त रहते थे। वे दिनभर गांव के मवेशियों को चराते और शाम को गोठान की सफाई करते।
कहा जाता है कि उन्होंने उस समय ही गांववालों को स्वच्छता का संदेश दिया। उनकी गोमाता की निरंतर सेवा देखकर माता जगदंबे प्रसन्न हुईं और उन्हें साक्षात दर्शन दिए। दारव्हा तहसील के श्रीक्षेत्र धामणगांव देवी के संत मुंगसाजी महाराज के शिष्य श्री घोगलाजी महाराज की रचनाओं में भी संत मराजी महाराज और आसेगांव देवी का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि एक दिन जब मराजी अपने मवेशियों को घर की ओर लौटा रहे थे, तभी देवी ने उन्हें आदेश दिया – “मुझे अपने घर ले चलो, वहीं से समाज का कल्याण होगा। लेकिन ध्यान रखना, पीछे मुड़कर मत देखना।”
मराजी आगे बढ़ते रहे परंतु उनकी उत्कंठा बढ़ गई और उन्होंने पीछे मुड़कर देख लिया। तभी माता वहीं अदृश्य हो गईं। उसी स्थान पर बाद में उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस वर्ष भी संस्थान की ओर से विविध धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। नवरात्रि के दौरान लाखों श्रद्धालु महाराष्ट्र के साथ अन्य राज्यों से भी दर्शन हेतु यहां पहुंचेंगे। 30 सितंबर को ग्रंथ दिंडी यात्रा निकाली जाएगी। 1 अक्टूबर को भव्य महाप्रसाद का आयोजन होगा। संस्थान की ओर से श्रद्धालुओं से अधिकाधिक संख्या में उपस्थित होकर माता की कृपा प्राप्त करने का आवाहन किया गया है।
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प्रारंभ में मिट्टी के परकोटे से मंदिर बनाया गया था, लेकिन अब यहां भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है। सोलहवीं शताब्दी से इस स्थान पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राज्य के मृदा एवं जलसंधारण मंत्री संजय राठोड़ के सहयोग से इस संस्थान को क श्रेणी का दर्जा मिला है। संस्थान को बड़े पैमाने पर निधि प्राप्त हुआ है, जिससे भक्त निवास और परिसर का सुशोभीकरण कार्य संपन्न हुआ है।