सोयाबीन की फसल (सौजन्य-नवभारत)
Soybean Market Rate 2025: इस साल के खरीफ सीज़न ने सोयाबीन किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। उत्पादन में भारी गिरावट, लागत में बढ़ोतरी और बाज़ार भाव में आई गिरावट के चलते किसानों की हालत “आमदनी आठ आने, खर्च बारा आने” जैसी हो गई है। किसानों पर आर्थिक संकट छाया हुआ है। तालुका क्षेत्र में इस बार सोयाबीन का औसत उत्पादन घटकर प्रति एकड़ 2 से 3 क्विंटल रह गया है।
वहीं एक एकड़ की लागत 10 से 12 हजार रुपये तक पहुंच गई है। बाज़ार में सोयाबीन का भाव मात्र 4,000 से 4,300 रुपये प्रति क्विंटल मिलने से किसानों को प्रति एकड़ 2 से ढाई हज़ार रुपये से अधिक का सीधा नुकसान हो रहा है।
पिछले दो वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल चुके किसानों की कमर पहले से ही टूटी हुई थी। अब उत्पादन व भाव दोनों में गिरावट के कारण अनेक किसानों की योजनाएं विफल हो गई हैं और घरों में चिंता का माहौल फैल गया है।
किसानों को सोयाबीन की कम से कम 5,000 रुपये प्रति क्विंटल भाव की उम्मीद थी, लेकिन बाज़ार में 4,200–4,300 रुपये से ज़्यादा भाव नहीं मिल रहा है। इसी कारण किसानों में नाराज़गी बढ़ती जा रही है। किसान संगठनों ने सरकार से नुकसान भरपाई, प्रभावी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और तत्काल राहत देने की मांग की है।
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लगातार बढ़ती लागत, गिरता उत्पादन और सरकारी मदद का अभाव… इन सबने किसानों को प्रशासन से सवाल करने पर मजबूर कर दिया है “न भाव है, कर्ज का बोझा बढ़ता जा रहा है… हम खेती करके कैसे जिएं?” ऐसा सवाल उपस्थित किया जा रहा है। तालुका के अधिकांश गांवों में यही स्थिति बनी हुई है और किसानों का रोष बढ़ता जा रहा है। किसान चेतावनी दे रहे हैं कि यदि सरकार ने तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।