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टिपेश्वर में गूंज रही बाघ की दहाड़, आने वाले पर्यटकों की संख्या 4000 से बढ़कर हुई 30000 तक

Tipeshwar Wildlife Sanctuary: यवतमाल जिले का टिपेश्वर अभ्यारण्य अब धीरे-धीरे लोगों को ध्यान आकर्षित कर रहा है। पिछले कुछ सालों में बाघों की मौजूदगी के कारण यहां पर्यटकों की संख्या में भारी उछाल आया।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Sep 27, 2025 | 11:45 AM

टिपेश्वर वाइल्ड लाइफ सेंच्यूरी (सौजन्य-सोशल मीडिया)

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Yavatmal News: 20 से अधिक बाघों वाले टिपेश्वर अभयारण्य ने यवतमाल जिले की शान बढ़ा दी है। पहले महाराष्ट्र में खास गिनती में भी नहीं गिने जाने वाले इस वन्य क्षेत्र के बाघ अब पूरे महाराष्ट्र के पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। आठ साल पहले पर्यटकों से भरे रहने वाला टिपेश्वर अब हर साल 30,000 से अधिक पर्यटकों को न्यौता दे रहा है। बाघ की दहाड सुनाई देते ही पर्यटकों का रोमांच बढ जाता है।

पांढरकवड़ा और घाटंजी तहसील से शुरू होने वाला यह अभयारण्य सीधे तेलंगाना राज्य की सीमा तक फैला हुआ है। इस जंगल में स्थित टिपाई माता के मंदिर से एक गांव को टिपेश्वर नाम मिला और अब यह गांव अभयारण्य के भीतर आने के कारण पूरे अभयारण्य का नाम ही टिपेश्वर बन गया। 148 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस अभयारण्य में वन संपदा तो है ही, साथ ही यहां के बाघों ने महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश का ध्यान खींचा है।

बाघों की संख्या बढ़ी

यहां पर्यटक रानगवा, तेंदूआ, रोही, जंगली सुअर और मोर भी आसानी से देखने को मिलते हैं। कुछ साल पहले यह अभयारण्य ज्यादा प्रसिद्ध नहीं था। लेकिन हाल के वर्षों में पांढरकवड़ा वन विभाग ने यहां जैव विविधता के प्रति व्यापक जागरूकता अभियान चलाया है। आसपास के गांवों के लोग भी अब सजग हो गए हैं। इससे आने वाले पर्यटकों के लिए खाने और रहने की सुविधाएं भी बेहतर हो गई हैं।

अभयारण्य में नियमित रूप से बाघों की संख्या बढ़ने की जानकारी दर्ज की जा रही है। वर्तमान में यहां 20 से अधिक बाघ हैं। हाल ही में देशभर में विभिन्न अभयारण्यों का मूल्यांकन किया गया, जिसमें टिपेश्वर को उत्कृष्ट प्रबंधन के लिए उच्च श्रेणी दी गई। इसके साथ ही इसे ‘व्याघ्र प्रकल्प’ का दर्जा देने की भी सिफारिश की गई। यही वजह है कि पूरा महाराष्ट्र टिपेश्वर के प्रेम में पड़ गया है।

नजदीकी केलापुर का पवित्र मंदिर

टिपेश्वर अभयारण्य के बिल्कुल पास केलापुर में माता जगदंबा का प्राचीन मंदिर है। महाराष्ट्र और तेलंगाना के हजारों भक्त इस मंदिर में श्रद्धा के साथ आते हैं। यहां नवरात्र उत्सव बड़े भक्तिपूर्ण वातावरण में मनाया जाता है। मंदिर संस्थान ने यहाँ प्राकृतिक बगीचा और पुस्तकालय भी विकसित किया है। इस वजह से टिपेश्वर के साथ-साथ यह स्थान भी पर्यटकों के लिए एक शानदार पिकनिक और धार्मिक स्थल बन गया है।

टिपेश्वर कैसे जाएं?

नागपुर-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर पांढरकवड़ा शहर से यह अभयारण्य बहुत नज़दीक है। अभयारण्य में प्रवेश के लिए सुन्ना गेट, माथनी गेट और कोदोरी गेट तीन द्वार हैं। यहां आने से पहले ऑनलाइन बुकिंग करना उत्तम है। इसके लिए ‘Safari Booking Mahaforest’ वेबसाइट पर क्लिक किया जा सकता है। यहां पर्यटकों के लिए 57 वाहन और 60 गाइड उपलब्ध हैं। वन विभाग के DFO उत्तम फड़ और ACF उदय आव्हाड हर गतिविधि पर नजर रखते हैं।

यह भी पढ़ें – किसानों को तुरंत प्रति हेक्टेयर पचास हजार रुपये सहायता दी जाए: विधायक विजय वडेट्टीवार

बढ़ती पर्यटक संख्या

वर्ष पर्यटक संख्या
2017-18 6693
2018-19 7539
2019-20 4559
2020-21 6997
2021-22 4374
2022-23 5040
2023-24 31977
2024-25 30167

 

Roar of tiger echoes in tipeshwar number of tourists increased 4000 to 30000

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Published On: Sep 27, 2025 | 11:45 AM

Topics:  

  • Maharashtra
  • Tour and Travel News
  • Wildlife Sanctuary
  • Yavatmal

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