(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Yavatmal Scam News: यवतमाल जिले में निर्माण श्रमिकों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं में बड़ा घोटाला सामने आया है। आरोप है कि ऊंची आय वाले परिवार के लोग, जिन्होंने कभी निर्माण कार्य नहीं किया, दलालों के माध्यम से फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। इससे सरकार का मूल उद्देश्य विफल हो रहा है और वास्तविक पात्र श्रमिक लाभ से वंचित रह जाते हैं। अब इस पूरे मामले की जिला स्तर पर जांच की मांग की जा रही है।
महाराष्ट्र निर्माण श्रमिक योजना बोर्ड का उद्देश्य पंजीकृत श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय सहायता, शैक्षिक और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए एक व्यक्ति को एक वर्ष में कम से कम 90 दिन तक निर्माण श्रमिक के रूप में काम करने का प्रमाण पत्र जमा करना होता है, जो किसी ठेकेदार या ग्राम पंचायत द्वारा जारी किया जाता है।
लेकिन, झरी जामनी इलाके में इस नियम का जमकर उल्लंघन हो रहा है। दलाल ऐसे लोगों से मोटी रकम लेकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर रहे हैं, जो कभी भी निर्माण स्थल पर काम करने नहीं गए। इसमें महिलाएं, पुरुष और युवा सभी शामिल हैं। ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा प्रमाण पत्र जारी करने पर प्रतिबंध लगने के बावजूद, ये लोग चालाकी से अन्य माध्यमों से फर्जी प्रमाण पत्र हासिल कर रहे हैं।
इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद, जिला स्तर पर दस्तावेजों की जांच कराने की मांग जोर पकड़ रही है। अगर पिछले वर्ष पंजीकृत श्रमिकों के दस्तावेजों की गहन जांच की जाए, तो कई फर्जी श्रमिक सामने आ सकते हैं। इससे सरकार को हो रहे करोड़ों रुपये के नुकसान को रोका जा सकता है।
इस पूरे मामले में कुछ ठेकेदारों की भूमिका भी संदिग्ध है। आरोप है कि कई ठेकेदार पैसों के लालच में ऐसे लोगों को भी ‘काम का प्रमाण पत्र’ दे रहे हैं, जिन्होंने कभी भी उनके साथ काम नहीं किया। यदि पंजीकृत श्रमिकों के फॉर्म की बारीकी से जांच की जाए और ठेकेदारों द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्रों पर सवाल उठाए जाएं, तो कई ठेकेदार भी मुश्किल में फंस सकते हैं।
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इस फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा खामियाजा उन गरीब और जरूरतमंद श्रमिकों को उठाना पड़ रहा है, जो वास्तव में कड़ी मेहनत करते हैं। वे योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं, जबकि अमीर और अपात्र लोग सरकारी खजाने को लूट रहे हैं। इस स्थिति ने सरकार के मूल उद्देश्य को ही खत्म कर दिया है।
यदि समय रहते इस पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह योजना अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में पूरी तरह विफल हो जाएगी। प्रशासन को इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि वास्तविक श्रमिकों को उनका हक मिल सके।