यवतमाल में विरोध (सौजन्य-नवभारत)
Reservation Protest: यवतमाल जिले में पारंपरिक वेशभूषा में नारेबाजी करते हुए हजारों की संख्या में निकाले गए इस मोर्चे के माध्यम से उपविभागीय अधिकारी, पुसद के जरिए महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया। हैदराबाद गैजट का आधार लेकर बंजारा, धनगर, हटकर, बडगा, कैकाडी, वडार और इसी प्रकार की भटक्या जातियों को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने की मांग असंवैधानिक है तथा मूल आदिवासियों के आरक्षण पर आघात करने वाली है, ऐसा स्पष्ट इशारा ज्ञापन में दिया गया।
साथ ही बंजारा समाज से ही आने वाले आदिवासी विकास राज्यमंत्री इंद्रनील नाईक ST आरक्षण के लिए राजनीतिक दबाव बना रहे हैं, इस कारण उनका तत्काल इस्तीफा लिया जाए, ऐसी मांग भी की गई।
इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अधिसंख्य घोषित की गई 12,520 पदों को तुरंत भरा जाए; अब तक रिक्त पड़ी 85,000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए; छोटा संवर्ग बिंदु क्रमांक 2 से 8 पर ले जाने का निर्णय रद्द किया जाए; आरक्षण पर आघात करने वाले शासनादेश, गजट, सिफारिशें स्थायी रूप से रद्द की जाएं, आरक्षण के खिलाफ काम करने वालों पर SC/ST अत्याचार अधिनियम के अंतर्गत अपराध दर्ज किए जाएं और फर्जी जातियों के प्रमाणपत्र स्थायी रूप से रद्द किए जाएं ऐसी मांगें सर्वसम्मति से की गईं।
यवतमाल में विरोध (सौजन्य-नवभारत)
इसके अतिरिक्त TRTI, ITDP, आदिवासी विकास विभाग में पारदर्शिता लाई जाए, FRA और PESA के अंतर्गत जल-जंगल-जमीन के अधिकार अछूते रखे जाएं, आदिवासी युवाओं को शिक्षा, रोजगार, उद्योग, खेती और स्वास्थ्य क्षेत्र में स्वतंत्र योजनाएं लागू की जाएं, धर्मांतरण और सांस्कृतिक आक्रमण रोककर परंपरा और संस्कृति की रक्षा की जाए, आरक्षण की प्रतिशतता में किसी भी प्रकार का बदलाव न करने की गारंटी दी जाए; गैर-आदिवासियों को आदिवासी भूमि लीज पर देने का निर्णय वापस लिया जाए, कब्जाई गई जमीनों को जिलाधिकारी स्वयं खोजकर मूल आदिवासियों को लौटाएं, आदिवासी बहुल जिलों में पाँचवी अनुसूची अनिवार्य रूप से लागू कर छठी अनुसूची के अनुसार विशेष स्वायत्तता दी जाए ऐसा भी ज्ञापन में उल्लेख किया गया। इस मोर्चे में देविदास डाखोरे, माधवराव वैद्ये, मोतीराम बोडखे, पांडुरंग व्यवहारे, सचिन आत्राम, वाघोजी खिल्लारे, सी. कन्हाले, रंगराव काले, गणपत गव्हाले समेत हजारों आदिवासी बंधु बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
आदिवासी समाज को सामाजिक आधार पर भारतीय संविधान में आरक्षण दिया गया है और यह किसी अन्य जाति को नहीं दिया जा सकता। इसके बावजूद हैदराबाद गैजेट का हवाला देकर महाराष्ट्र में बंजारा, वंजारी, कैकाडी, हटकर, धनगर आदि जातियां अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) में आरक्षण की मांग कर रही हैं। जगह-जगह मोर्चे और आंदोलन करके महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
यवतमाल में विरोध (सौजन्य-नवभारत)
महाराष्ट्र की कोई भी जाति अनुसूचित जनजाति के मानदंडों को पूरा नहीं करती। इसलिए किसी भी जाति को आदिवासी समाज में शामिल नहीं किया जाना चाहिए और बंजारा, वंजारी, कैकाडी, धनगर, हटकर आदि जातियों को अनुसूचित जनजाति का आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए इस मांग को लेकर आदिवासी समाज की विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर आदिवासी हक और आरक्षण बचाव समिति, वणी, झरी और मारेगांव का गठन किया।
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इसी समिति द्वारा दिनांक 29/09/2025 को वणी शहर में आरक्षण बचाव भव्य मोर्चे का आयोजन किया गया। इस रैली में वणी, मारेगांव, झरी तहसील के हजारों की संख्या में आदिवासी भाई-बहन, युवा, डॉक्टर, वकील, पत्रकार शामिल हुए। रैली की शुरुआत शासकीय मैदान से हुई जहां आदिवासी समाज के विचारकों ने मार्गदर्शन किया।