जैन समाज के लिए स्वतंत्र महामंडल (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Yavatmal News: जैन समाज के सर्वांगीण विकास के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक स्वतंत्र जैन अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल की स्थापना की गई है। इस प्रकार का महामंडल बनाने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बन गया है। इस महामंडल के माध्यम से समाज के विभिन्न घटकों के लिए तेजी से विकासात्मक योजनाएं चलाई जाएंगी। यह जानकारी महामंडल के अध्यक्ष ललित गांधी ने शुक्रवार को दी।
उन्होंने यवतमाल में आयोजित एक बैठक में महामंडल की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की।इसके बाद राजस्व भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में उन्होंने कहा कि यह महामंडल पिछले वर्ष स्थापित किया गया था। इसके अंतर्गत अब प्रमुख जैन तीर्थस्थलों और मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। जैन साधु-संतों के विहार को सुरक्षा प्रदान की जाएगी, ऐतिहासिक ग्रंथों का संरक्षण व पुनर्लेखन किया जाएगा। विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां दी जाएंगी।
महिलाओं और युवाओं को व्यापार और उद्योग के लिए एक लाख रुपये तक का बिना ब्याज का कर्ज दिया जाएगा, वहीं गरीब जैन समाज को बिना ब्याज का गृह ऋण मिलेगा। इसके अलावा व्यापार के लिए 30 लाख रुपये तक का कर्ज रियायती ब्याज दरों पर उपलब्ध होगा। इन सभी योजनाओं के लिए अगस्त माह से निधि वितरण भी शुरू किया जाएगा।
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महामंडल का कामकाज सुचारु रूप से चलाने के लिए हर जिले में कार्यालय शुरू किए जा रहे हैं। अब तक 23 जिलों में ऐसे कार्यालय स्थापित किए जा चुके हैं। शुक्रवार को यवतमाल में 24वें कार्यालय का उद्घाटन ललित गांधी के हाथों किया गया। इस अवसर पर जैन तीर्थंकरों की विचारधारा पर आधारित निबंध प्रतियोगिता के तहत राज्य के 26 लाख छात्रों ने भाग लिया था। इस प्रतियोगिता के जिला स्तरीय पुरस्कार भी इस कार्यक्रम में वितरित किए गए।
ललित गांधी ने कहा कि जैन समाज देश का एक बड़ा करदाता वर्ग है, इसलिए आमतौर पर यह माना जाता है कि पूरा जैन समाज संपन्न है। लेकिन सच्चाई यह है कि समाज के लगभग 30% लोग आज भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बिता रहे हैं। ऐसे जरूरतमंद लोगों के उत्थान के लिए यह महामंडल समर्पित रूप से कार्य करेगा।