खेतों में जंगली सुअरों का हमला (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pusad Farmers: पुसद तालुका के कई गांवों में खेतों में जंगली सुअरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। जंगली सुअर अरहर, चना, कपास, गन्ना सहित विभिन्न फसलों को भारी नुकसान पहुँचा रहे हैं, जिससे किसान आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। किसानों ने वन विभाग, तहसील कार्यालय और कृषि विभाग में ऑनलाइन शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण पंचनामा प्रक्रिया में देरी हो रही है।
मारवाड़ी बु. बांसी, कवडीपुर, वसंतवाड़ी, येहला, येरंडा, कोपरा खु., सावंगी, पिंपलखुटा, मुंगशी, वनवारला, पिंपलगांव, चोंडी, हनवतखेड़ा, सांडवा, मांडवा, कारला, धनसल, मनसल सहित अन्य गाँवों में भी किसान संकटग्रस्त हैं। स्थिति यह है कि फसलों को सही दाम नहीं मिल पाया और ऊपर से जंगली सूअरों से बढ़ता सर्वनाश किसानों की आर्थिक कमर तोड़ रहा है।
किसानों ने मांग रखी है कि सरकार उन्हें 100 प्रतिशत अनुदान पर झटका मशीन और जालीदार बाड़ योजना उपलब्ध कराए, ताकि भविष्य में फसलें सुरक्षित रह सकें। नंदकिशोर जामकर, नारायण पुलाते, संजय ठाकरे, बबलू कवाडे, सुरेश ठाकरे, हितेश मस्के और निरंजन ठाकरे समेत किसानों ने प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप कर उचित आदेश जारी करने की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि रात होते ही जंगली सुअरों के झुंड खेतों में धावा बोल देते हैं, जिससे किसान रात-रातभर जागकर अपनी फसलों की रखवाली करने को मजबूर हैं। कई किसानों ने बताया कि फसल उगाने में उन्होंने सारी पूंजी और मेहनत झोंक दी, लेकिन जंगली जानवरों के कारण उपज को बचाना मुश्किल हो गया है।
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कुछ किसानों ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि कर्ज से दबे किसान पहले ही बाजार भाव के संकट से जूझ रहे हैं, अब इन हमलों से उनकी उम्मीदें भी टूट रही हैं। उनका कहना है कि यदि समय रहते समाधान नहीं मिला, तो आने वाले दिनों में खेती करना भी असंभव हो सकता है।