दुग्ध उत्पादन के लिए पौष्टिक चारा आवश्यक
Yavatmal News : उमरखेड़ तहसील के बेलखेड़ गांव में स्थानीय कृषि महाविद्यालय की छात्राओं ने ‘ग्रामीण कृषि कार्यानुभव (रावे)’ कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों के लिए पशुधन के चारा प्रबंधन और पशु गोशाला की स्वच्छता पर विशेष मार्गदर्शन शिविर आयोजित किया। यह उपक्रम महाविद्यालय के प्राध्यापकों के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
कृषि कन्याओं ने किसानों से संवाद करते हुए बताया कि पशुओं का स्वास्थ्य और अधिक दूध उत्पादन अच्छे चारे पर निर्भर करता है। उन्होंने चारे से संबंधित निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातें बताईं।
गोठे की स्वच्छता पर बल देते हुए छात्राओं ने बताया कि अस्वच्छता से पशुओं में संक्रामक रोग फैलते हैं।
नियमित सफाई: गोठे की प्रतिदिन कम से कम दो से तीन बार सफाई करें और उसे सूखा रखें।
यह कार्यक्रम प्राध्यापिका कांबले, प्राचार्य एस. के. चिंतले, प्रोग्राम ऑफिसर वाय. एस. वाकोडे तथा रावे इंचार्ज ए. बी. इंगले के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। कृषि कन्याएं वैष्णवी गावंडे, निधि रिठे, अदिति निलजकर, निशा डोंगरे, तन्वी वासनिक और वैष्णवी वाडणकर ने विस्तृत जानकारी दी।
निर्जंतुकीकरण:
गोठे के फर्श पर नमी से बचाव के लिए चूना पाउडर छिड़कें और समय-समय पर फिनाइल या पोटैशियम परमैंगनेट के घोल से सफाई करें।
बरसात में विशेष ध्यान:
बरसात के मौसम में गोठे में कीचड़ न बनने दें और मच्छर-मक्खियों से बचाव के लिए उचित उपाय करें।
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पशुओं की सफाई (ग्रूमिंग):
पशुओं को नियमित रूप से ब्रश करने से उनकी त्वचा स्वस्थ रहती है और बाहरी परजीवी (गोचीड) नियंत्रित रहते हैं।
इस मार्गदर्शन से किसानों में पशुधन के स्वास्थ्य और प्रबंधन को लेकर जागरूकता बढ़ी। कई किसानों ने अपने प्रश्नों के समाधान भी प्राप्त किए। बेलखेड़ के किसानों ने कृषि कन्याओं द्वारा दी गई इस उपयोगी जानकारी की सराहना की।