'वन्यजीव सुरक्षा' समय की जरूरत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha District: छात्रों ने अपने आसपास होने वाले प्रकृति का आनंद लेते समय वन्यजीवों का संरक्षण कैसे कर सकेंगे। इसका विचार करना समय की जरूरत है। प्राणी, पक्षी, कीटक, पेड़, विविध जाति के घास में विविधता है। इसमें पशु, पक्षियों की विविध जाती देखने को मिलती है। लेकिन आज की घड़ी में उद्योग, विकास हो यो मानवी विकास के नाम पर प्रकृति का कत्लेआम किया जा रहा है। यह वन्यजीवों के हानि का कारण बना है। ऐसे विचार वन्यजीव रक्षक कौशल मिश्र ने व्यक्त किए। वह इंद्रप्रस्थ न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज वर्धा में आयोजित वन्यजीव सप्ताह 2025 कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ.आशिस ससनकर ने की। प्रमुख अतिथि के तौर पर आर. जी.भोयर फार्मास्युटिकल एजूकेशन के प्राचार्य डॉ. विनित इंदूरवाडे, रासेयो विभाग प्रमुख डॉ. हेमंत मिसाल, विभाग प्रमुख तथा वन्यजीव सप्ताह कार्यक्रम आयोजक डॉ.वैभवी उघडे उपस्थित थी। कौशल मिश्र ने खादय श्रृखंला के वन्यजीवों का महत्त्व छात्रों ने समजना चाहिए। जंगल सफारी के माध्यम से बाघ, शेर आदि प्राणी की पढ़ाई करनी चाहिए। साथ में जंगल के पक्षी, कीटक, पेड़, विविध जाति का घास का ज्ञान मिलना चाहिए। तो ही हम वन्यजीवों की सुरक्षा कर सकेंगे। प्रास्ताविक वन्यजीव सप्ताह कार्यक्रम आयोजक डॉ. वैभवी उघडे ने किया।
महाविद्यालय में सप्ताह पर मनाए जाने वाले विविध उपक्रम छात्र तथा वन्यजीव संरक्षण व योजना की जानकारी दी। डॉ. विनित इंदूरवाडे, डॉ. हेमंत मिसाल ने मार्गदर्शन करते हुए छात्रों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक पेड मां के नाम यह संकल्पना समाज में अमल में आएगी। ऐसा आवाहन किया। संचालन प्रा. संदीप पेटारे ने किया। आभार प्रा. दीपाली काले ने माना। सफलतार्थ डॉ. प्रशांत कडवे, डॉ. प्रमोद आचेगावे, डॉ. ज्ञानेश्वर बोहरूपी, प्रा. प्रमोद तडस, प्रा. विक्रम निवल, प्रा.संदीप गिरडे, प्रा.शरद खोब्रागडे, प्रा. भारती येरणे, प्रा. मिनल कुटे, प्रा. प्राची कोल्हे ने सहयोग किया।
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इस अवसर पर इंद्रप्रस्थ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आशिष ससनकर ने कहा पिछले 14 वर्ष से प्रतिवर्ष अक्टूबर में वन्यजीव सप्ताह यह प्रकृति का ज्ञानवर्धक उत्सव मनाया जाता है। छात्रों से कहा कि पर्यावरण में होने वाला बदलाव, गायब होती जा रही प्रजाति और प्राकृतिक वातावरण का संरक्षण करने की जरूरत है। मानवी विकास और पर्यावरण का संतुलन कायम रखने के लिए वनस्पति और प्राणी आवश्यक है। ऐसा आवाहन अध्यक्षीय मनोगत से व्यक्त किया।