वर्धा न्यूज
Traffic Jam Issue: सिकुड़ती सड़कों पर बढ़ रही वाहनों की संख्या चिंता का विषय बनती जा रही है। इसके चलते शहरों में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी ट्रैफिक व्यवस्था बुरी तरह से चरमराती जा रही है। आलम यह है कि, वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण आम लोगों को तो परेशानी होती ही है, यातायात को सुचारू रखने के लिए यातायात पुलिस को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं।
इस समय यदि जिले के अंदर वाहनों की संख्या पर नजर डाली जाए तो प्रतिवर्ष 15 से 20 हजार नए वाहन सड़कों पर आ रहे हैं। पहले जिनके पास मात्र साइकिल हुआ करती थी उनके पास आज दोपहिया वाहन आ गया हैं, जबकि पहले दोपहिया वाहन रखने वालों के पास अब कारें व अन्य वाहन मौजूद हैं। यानी आज जिले में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जिसके यहां छोटा बड़ा वाहन न हो।
पिछले 10 वर्ष में जिले में लगभग 4 लाख वाहनों का पंजीयन हुआ है। वाहनों की तुलना में ज्यादातर शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों की चौड़ाई पहले जितनी ही है। हालांकि मुख्य मार्गो व हाईवे की चौड़ाई पहले से काफी बढ़ाई जा चुकी है, लेकिन वर्तमान में वाहनों की तुलना में उक्त चौड़ाई भी कम पड़ने लगी है।
सबसे बड़ी बात तो यह हैं कि, लोग एक दूसरे को देखते हुए वाहन पर वाहन तो खरीद रहे हैं, लेकिन वाहन चलाने की पूरी ट्रेनिंग हर कोई नहीं ले रहा है। यही कारण है कि, सड़कों पर बढ़ती भीड़ व गलत ड्राइविंग, एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में सड़क हादसे भी बढ़ते जा रहे हैं। वहीं वर्धा जैसे शहर में अनियमित ट्रैफिक सिग्नल व पार्किंग व्यवस्था के अभाव से वाहनधारक परेशान हो गए है़ं
वर्धा की बात करें तो शहर कि सड़कें पहले ही छोटी हैं। ऊपर से ट्रैफिक के बढ़ते बोझ के कारण शहर में रोज जाम लगता है। हालांकि जगह-जगह ट्रैफिक पुलिस के जवान खड़े रहते हैं। परंतु शहर में यातायात सुचारू रख पाना संभव नहीं हो रहा है। शहर में स्वतंत्र पार्किंग व्यवस्था नहीं है।
इसके चलते अस्तव्यस्त वाहन खड़े किए जाते हैं। इससे परिवहन प्रभावित होता है। ट्रैफिक सिग्नल भी अनयमित शुरू रहते है। मुख्य मार्केट में गंभीरत स्थिति बनी है। इसे लेकर कोई ठोस उपाययोजना नहीं की जा रही है।
यह भी पढ़ें – Coal Scam का काउंटडाउन शुरू, KPCL–MPGENCO की जांच से मचा हड़कंप, कोल वॉशरी और रेलवे सायडिंग थर्राईं
| वर्ष | वाहन संख्या |
|---|---|
| 2015-16 | 22,475 |
| 2016-17 | 23,895 |
| 2017-18 | 23,540 |
| 2018-19 | 20,298 |
| 2019-20 | 17,020 |
| 2020-21 | 15,102 |
| 2021-22 | 15,047 |
| 2022-23 | 17,737 |
| 2023-24 | 19,452 |
| 2024-25 | 21,389 |
| कुल | 3,99,715 |