वर्धा. पर्यावरण का संतुलन दिन-ब-दिन बिगड़ते ही जा रहा है, जिसके विपरीत परिणाम हमें भुगतने पड़ रह है़ अंत्यविधि के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई होती है़ पौधारोपण का प्रमाण काफी कम है़ अंत्य संस्कार के बाद राख नदी में विसर्जित की जाती है, जिससे बड़े पैमाने पर प्रदूषण हो रहा है.
नदी का वही पानी पेयजल के रूप में ईस्तेमाल होने से नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में है. यह विचार हिंगनघाट स्थित अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति व रमाई मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जनजागृति कार्यक्रम में अतिथियों ने व्यक्त किए़ इस प्रसंग पर मार्गदर्शक के रूप में सीमा मेश्राम उपस्थित थी.
संचालन स्मिता कांबले ने किया़ आभार मीरा फूलमाली, ने माना़ सफलतार्थ अंनिस के सिंधु दकने, वंदना थूल, शारदा डोये, लीला थूल, मोनाली फुलझेले, रुपा सरोदे, सुकेशनी डांगे, रजनी कांबले, योजना वासेकर, प्रमिला कुंभारे, रीना मस्के आदि उपस्थित थे.