वर्धा नगर परिषद चुनाव गठबंधन को लेकर अनिश्चितता (सोौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha Council Election: वर्धा जिले की छह नगर परिषदों के आगामी चुनाव को लेकर राजनीतिक पटल पर गठबंधन की स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। प्रमुख दलों के बीच मतभेद और संवादहीनता के चलते कोई ठोस निर्णय सामने नहीं आया है। परिणामस्वरूप सभी दल ‘एकला चलो’ की नीति अपनाने के संकेत दे रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार गुट) और शिवसेना (शिंदे गुट) की राज्य में सत्ता है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने गठबंधन का निर्णय स्थानीय स्तर पर करने का सुझाव दिया है।
हालांकि, जिले में अब तक गठबंधन को लेकर किसी भी प्रकार की औपचारिक चर्चा नहीं हुई है। तीनों ही दल अपने-अपने स्तर पर चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं। भाजपा ने जिले की छह नगर परिषदों के नगराध्यक्ष पद समेत कुल 166 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के साक्षात्कार पूर्ण कर लिए हैं। प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, किंतु सहयोगी दलों के साथ अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है। पार्टी ने पूर्व सांसद रामदास तड़स को चुनाव प्रमुख तथा पालकमंत्री डॉ. पंकज भोयर को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार गुट) की ओर से भी नगराध्यक्ष पद सहित विभिन्न प्रभागों से उम्मीदवार उतारने की योजना तैयार की जा रही है। शुक्रवार को पूर्व नगराध्यक्ष संतोष ठाकुर ने राकां (अजीत गुट) में प्रवेश किया है। शिवसेना (शिंदे गुट) ने भी नगराध्यक्ष और प्रभागों से उम्मीदवार उतारने की दिशा में तैयारी शुरू कर दी है।
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उबाठा गुट) के बीच संभावित महागठबंधन पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। बुधवार को राकां (शरद गुट) के समीर देशमुख ने कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज चांदूरकर को पत्र सौंपा था। लेकिन चांदूरकर ने स्पष्ट किया कि ऐसा प्रस्ताव कांग्रेस जिलाध्यक्ष अतुल वांदिले की ओर से आना चाहिए।
गुरुवार को सांसद अमर काले और जिलाध्यक्ष अतुल वांदिले ने कांग्रेस नेताओं तथा संभावित उम्मीदवारों के साथ बैठक कर गठबंधन पर चर्चा की, परंतु यह बैठक बेनतीजा रही। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस फिलहाल अपने दम पर चुनाव लड़ने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि गठबंधन पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो इस बार नगर परिषद चुनाव में सभी प्रमुख दल स्वतंत्र रूप से मैदान में उतर सकते हैं। ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय होने की संभावना है। सोमवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है, इसलिए उससे पहले गठबंधन पर निर्णय होना आवश्यक है।