जागर फाऊंडेशन, क्रीड़ा भारती की पहल (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha News: फूल भी हूं, चिंगारी भी हूं। मैं भारत की नारी हूं। ऐसा संदेश देकर तलवार, लाठी डंडा प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन किया। समाज में महिलाओं ने चूल्हा और बच्चें तक मर्यादित न रहते हुए सशक्त बने। भारत माता के चरण में अपनी सेवा अर्पण करें। इसके लिए जागर फाऊंडेशन व क्रीड़ा भारती की ओर से शक्ति साधना कार्यक्रम आयोजित किया था। कार्यक्रम के समापन में प्रशिक्षित महिलाएं, लड़कियों ने तलवार, लाठी डंडा का सुंदर प्रात्यक्षिक कर नारी का आवाज बुलंद किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीणा जैन ने की। खेल से चरित्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण की आवश्यकता है। नवरात्रि में दुर्गा माता की आराधना यह शक्ति साधना कर लाठी डंडा व तलवार प्रशिक्षण समय की जरूरत है। जिससे महिला में आत्मविश्वास बढ़कर समाज के दुराचार पर अंकुश लगा सकते। ऐसे विचार व्यक्त किए। प्रमुख अतिथि उद्योजिका मोनाली ढोमने ने उपक्रम की प्रशंसा की। प्रतिवर्ष नवरात्रि में समाजपयोगी उपक्रम मनाए ऐसा आह्वान किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघ चालक जेठानंद राजपूत, पूर्व जिप उपाध्यक्ष वैशाली येरावार ने आयोजक का अभिनंदन किया।
पांच दिवसीय लाठी डंडा तलवार प्रशिक्षण शिविर में महिला, लड़कियों ने सीखी कला का प्रस्तुतिकरण कर सभी के मन जीते। कार्यक्रम में मुकुंद पिंपलगांवकर, नरेंद्र नरोटे, गुंजन मिसाल, जयंती येरावार, जयंत कावले, माधव वानखेडे, निलेश कोलेकर गिरीश कांबले उपस्थित थे। सफलतार्थ सारंग परिमल, अमित प्रसाद, योगेश केलकर, किशोर झाडे, स्वप्निल पांडे, सुशील लोहिया, संदीप आपटे, विलास वाघाडे, प्रवीण खवशी, दीपाली हिंगनीकर, विशाखा जोशी, प्रशिक्षक अभिजित पारगांवकर, पूनम डकरे, मनीषा मशानकार, पल्लवी मोहाडकर, नीता सूर्यवंशी, मयुरी करंडे, मोनिका नगरे का योगदान रहा।
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जागर फाऊंडेशन के अध्यक्ष, नप की पूर्व सभापति श्रेया देशमुख ने कहा कि शिविर लेते समय अनेक परेशानी हुई। लेकिन दुर्गामाता के आशीर्वाद, शहर की माता-बहनों से सहयोग करने से शिविर सफल हुआ। गरबा दांडिया के साथ में महिला के हाथ लाठी डंडा दिखने चाहिए। ऐसे विचार श्रेया देशमुख ने व्यक्त किए। क्रीड़ा भारती के जिलाध्यक्ष हरिश गांधी ने ऐसे उपक्रम हमेशा लिए जाएंगे ऐसा कहा।