सोयाबीन की फसल लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे किसान (फोटो नवभारत)
Wardha Kharif Soyabean Crop Damage: वर्धा जिले में खरीफ मौसम में किसानों की प्रमुख नगदी फसल मानी जाने वाली सोयाबीन इस बार किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। पवनार क्षेत्र के दर्जनों किसान शुक्रवार को सूखी और बर्बाद हुई सोयाबीन लेकर जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। किसानों ने ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि तुरंत नुकसान का पंचनामा कर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए।
किसानों का कहना है कि इस बार सोयाबीन की फसल चारकोल रॉट और येलो मोजैक जैसी फफूंदजन्य बीमारियों की चपेट में आ गई है। संपूर्ण राजस्व मंडल की 80 से 90 प्रतिशत फसल प्रभावित बताई जा रही है। कई खेतों में तो एक भी फल्ली दिखाई नहीं दे रही। किसानों का दर्द इतना गहरा है कि उन्होंने कहा – “सोयाबीन में फली दिखाओ, लाख रुपये पाओ” जैसी कहावत इस बार व्यंग्य बन गई है।
वर्धा जिलाधिकारी ने किसानों को आश्वासन दिया कि जल्द ही पंचनामा करने के आदेश जारी किए जाएंगे। कृषि विभाग की प्राथमिक रिपोर्ट में अब तक 20 प्रतिशत नुकसान का अनुमान जताया गया है, लेकिन किसानों का कहना है कि वास्तविक क्षति कहीं अधिक है।
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जिला कृषि अधीक्षक रमाकांत कांबले ने बताया कि सोयाबीन पर रोग का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। आठ दिन पहले तक केवल 20 प्रतिशत फसल प्रभावित थी, लेकिन अब बीमारी तेजी से फैल रही है। आदेश मिलते ही नुकसान का आकलन शुरू कर दिया जाएगा।
सोयाबीन की बर्बादी से किसान सदमे में हैं। अब उनकी उम्मीदें कपास और रबी की फसलों पर टिक गई हैं। सहायता की मांग करने वालों में सुरेश इखार, वासुदेव सावरकर, अनुप चांदणखेडे, गजानन पाटील, किशोर देवतळे, वैभव साखरकर, शिशिर राऊत, प्रशांत भोयर, आशीष भोयर, राजू बावणे समेत कई किसान शामिल रहे।