वर्धा न्यूज
Wardha News: सड़क के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा समय पर न देने के कारण जिला सत्र न्यायालय के आदेशानुसार मंगलवार, 23 सितंबर को जिलाधिकारी कार्यालय में जब्ती की नौबत आ गई थी। उपजिलाधिकारी (भूमि अधिग्रहण) के कक्ष में लगभग डेढ़ घंटे चली बातचीत के बाद संबंधित किसान को ठोस लिखित आश्वासन दिए जाने पर यह जब्ती टल गई।
पहले वर्धा दक्षिण बायपास मार्ग और अब राज्य महामार्ग 331 के चार लेन सड़क के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। सरकार ने इस हाईवे को बनाने में भारी खर्च किया, लेकिन मार्ग के पास की उच्च विद्युत लाइन के कारण यह मार्ग अब तक औपचारिक रूप से यातायात के लिए शुरू नहीं हो पाया है। इसी मार्ग के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन का बढ़ा हुआ मुआवजा न मिलने से किसान ने जिला सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
न्यायालय ने किसान के पक्ष में निर्णय देते हुए जिलाधिकारी वर्धा के नाम से जब्ती का आदेश जारी किया। यह आदेश लेकर मंगलवार को न्यायालयीन अधिकारी जब जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे तो वहां मौजूद अधिकारी और कर्मचारी घबरा गए। आखिरकार, सार्वजनिक निर्माण विभाग और जिलाधिकारी कार्यालय के भूमि अधिग्रहण विभाग की ओर से किसान को एक माह के भीतर बढ़ा हुआ मुआवजा देने के लिए शासन से तुरंत निधि की मांग करने का लिखित आश्वासन दिया गया। किसान ने यह आश्वासन स्वीकार कर लिया।
वर्धा शहर के पास दत्तपूर चौक से सेवाग्राम मार्ग पर स्थित इंदिरा गांधी उड़ान पुल चौक के वर्धा दक्षिण बायपास मार्ग के लिए वर्ष 2022 में स्नेहल नगर क्षेत्र के निवासी कमलाकर उमाटे और सुधाकर उमाटे की 22 आर जमीन जिला प्रशासन द्वारा अधिग्रहीत की गई थी। शुरुआत में उन्हें 55 हजार रुपये मुआवजा दिया गया। यह मुआवजा बहुत कम होने के कारण दोनों भाइयों ने न्यायालय में याचिका दायर की।
याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने किसान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बढ़ा हुआ मुआवजा देने का आदेश दिया। लेकिन प्रशासन की ओर से भुगतान में टालमटोल की जा रही थी, जिसके चलते किसान ने दोबारा न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई के बाद जिला सत्र न्यायालय ने जिलाधिकारी कार्यालय से जब्ती का आदेश जारी किया।
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आदेश के अनुसार न्यायालयीन अधिकारी और किसान जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे, जिससे कार्यालय में हड़कंप मच गया। आखिरकार पीडब्ल्यूडी और भूमि अधिग्रहण विभाग ने शासन से त्वरित निधि की मांग कर एक महीने के भीतर बढ़ा हुआ मुआवजा देने का लिखित आश्वासन दिया। किसान के सहमत होने पर जब्ती की स्थिति टल गई।