आष्टी तहसील में खाद की भारी किल्लत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Aasti Farmers Crisis: आष्टी तहसील में पिछले एक महीने से कृषि केंद्रों पर यूरिया और डीएपी खाद की भारी कमी बनी हुई है। इस वजह से किसानों को खाद के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। मजबूरी में किसान दूसरे तहसीलों से महंगे दामों पर खाद खरीद रहे हैं। इसके बावजूद कृषि विभाग पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है।
खाद की कमी के चलते किसान लूट का शिकार हो रहे हैं और उन्हें मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। रबी सीजन में बुआई का काम अंतिम चरण में पहुंच चुका है, ऐसे में खाद का संकट गहराने से किसानों के सामने अनेक बाधाएं खड़ी हो गई हैं। किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग की लचर कार्यप्रणाली के कारण ही यह स्थिति बनी है।
रबी सीजन में गेहूं, चना, प्याज, मूंगफली, तिल आदि फसलों की बुआई होती है, लेकिन आमतौर पर आसानी से उपलब्ध रहने वाला डीएपी और यूरिया इस समय नहीं मिल रहा है। इन खादों के दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, परंतु 10:26:26, 8:21:21, 15:15:15 और 20:20:0:13 जैसे खादों के दाम प्रति बोरी 200 से 400 रुपये तक बढ़ गए हैं।
डीएपी और यूरिया की गुणवत्ता बेहतर होने के कारण किसान इन्हें ही खरीदना चाहते हैं, लेकिन कृषि केंद्रों में पहुंचने पर उन्हें खाद उपलब्ध न होने की जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा कुछ कंपनियों के विक्रेता सरकारी आदेशों को अनदेखा करते हुए खाद के साथ दूसरी खाद की जबरन लिंकिंग कर रहे हैं। किसानों ने इस प्रकरण में तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
आष्टी के किसान दिनेश चव्हाण ने कहा कि “मेरे पास मौजा आष्टी में 3 एकड़ खेत है। रबी में मैंने चना बोया है। फसल को यूरिया की जरूरत है। बुआई के समय डीएपी उपलब्ध नहीं था और अब कहा जा रहा है कि यूरिया भी नहीं मिल रहा है।”
तहसील गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी विशाल विरूडकर ने कहा कि “यूरिया और डीएपी की कमी को लेकर किसानों ने शिकायत की है। इसकी जानकारी जिला कृषि अधिकारी को दे दी गई है। खाद की योजना और आपूर्ति जिला स्तर से होती है।”
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