प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Wardha News In Hindi: भ्रूण लिंग परीक्षण जैसे गंभीर अपराध को रोकने के लिए वर्धा जिले में प्रशासन ने अपनी कमर कस ली है। जिले में संचालित 71 सोनोग्राफी केंद्रों में से 3 को बंद कर दिया गया है, जबकि 68 केंद्र अब भी पूरी निगरानी में चल रहे हैं। ये सभी केंद्र सरकारी और निजी, दोनों स्तरों पर संचालित हैं, जिनकी हर तीन महीने में कड़ी जांच-पड़ताल की जा रही है।
इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पीसीपीएनडीटी (PCPNDT) कानून का पूरी तरह से पालन हो और कोई भी अवैध गतिविधि न हो सके।
वर्धा जिला प्रशासन द्वारा गठित जिला सलाहकार समिति इन केंद्रों पर लगातार नजर रख रही है। यह समिति हर सोनोग्राफी केंद्र का दौरा कर रही है और वहां के रिकॉर्ड, मशीनें, स्टाफ की योग्यता और सबसे महत्वपूर्ण, फॉर्म-एफ के रखरखाव की जांच कर रही है। यह फॉर्म भ्रूण के स्वास्थ्य और अन्य विवरणों को दर्ज करने के लिए होता है, और इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ या अनियमितता कानूनी अपराध है।
जिला शल्य चिकित्सक डॉ. समंत वाघ ने बताया, “जिले में कुल 71 सोनोग्राफी सेंटर हैं, जिनमें से 3 बंद हैं और 68 कार्यरत हैं। हर तीन महीने में इन केंद्रों की नियमित जांच होती है। किसी भी तरह की खामी पाए जाने पर तुरंत आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जाते हैं।”
भ्रूण लिंग परीक्षण एक गंभीर सामाजिक समस्या है। सरकार और प्रशासन दोनों ही इस पर लगाम लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पीसीपीएनडीटी कानून के तहत लिंग परीक्षण करना एक दंडनीय अपराध है, जिसके लिए दोषी डॉक्टर की डिग्री रद्द करने से लेकर सोनोग्राफी केंद्र बंद करने तक की सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
यह भी पढ़ें:- Army जवान को गंवार कहने वाली HDFC बैंककर्मी ने मांगी माफी, बोली- ‘मुझसे बड़ी भूल हो गई, हो सके तो…’
हालांकि, कानूनी सख्ती के साथ-साथ समाज में जागरूकता भी बहुत जरूरी है। कई बार लोग अनभिज्ञता के कारण इस अपराध में शामिल हो जाते हैं। इसे देखते हुए, प्रशासन ने जागरूकता अभियान भी शुरू किए हैं। इन अभियानों का मकसद लोगों को इस कानून के बारे में शिक्षित करना और उन्हें दोषियों की पहचान करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
वर्धा जिले में निगरानी और जागरूकता, दोनों ही मोर्चों पर काम किया जा रहा है। जिला सामान्य अस्पताल, सेवाग्राम और सावंगी (मेघे) के मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हिंगनघाट और आव के उपजिला अस्पतालों के साथ-साथ ग्रामीण अस्पतालों और निजी केंद्रों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। उम्मीद है कि प्रशासन की इस सख्ती और समाज की जागरूकता से भ्रूण लिंग परीक्षण जैसी कुप्रथा को पूरी तरह से खत्म किया जा सकेगा।